इस बार कार्यकर्ताओं और समर्थकों की नहीं, बल्कि बड़े नेताओं ने इशारों-इशारों में शब्दों के ऐसे तीर चलाए, जिसमें उनके मन की पीड़ा और अंतर्कलह साफ नजर आई। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने टीएस सिंहदेव पर निशाना साधते हुए कहा कि, अब मत बोलना कि हमारी सरकार ने काम नहीं किया इसलिए हम हार गए। प्रदेश में वोट चोरी के कारण कांग्रेस की सरकार नहीं बनी है।
वहीं, पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत को लेकर कहा कि, हमारे कार्यकर्ता कोई चमचा नहीं है। किसी नेता के चमचे नहीं हैं। हमें अपने लोगों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा, सचिन पायलट के पहुंचते ही पूर्व मंत्री अमरजीत से माइक छीन लिया गया।
दरअसल, कांग्रेस देश भर में राष्ट्र व्यापी आंदोलन वोट चोर-गद्दी छोड़ अभियान चला रही है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भी मंगलवार को बड़ी सभा कर राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट को बुलाया गया। जनसभा के लिए प्रदेश और जिला स्तरीय बैठक लेकर प्रदेश भर के नेताओं को एकजुटता प्रदर्शित करने के साथ ही संभाग से कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग को टारगेट करना था। आयोग जैसे संवैधानिक संस्था के खिलाफ छोटे से लेकर बड़े नेताओं ने मुखर होकर विरोध किया। साथ ही आयोग से मिलीभगत कर भाजपा पर वोट चोरी कर चुनाव में जीत हासिल करने जैसे आरोप लगाए गए।
कांग्रेस का मकसद लोगों को जागरूक करना और सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का था। कांग्रेस नेता अपने इस अभियान में कहां तक सफल हुए यह तो आने वाले चुनाव के नतीजों पर दिखेगा। लेकिन, जनसभा के मंच पर नेताओं की गुटबाजी साफ दिखी।