शासन की माने तो पहले जहां 5,936 स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक थे। लेकिन युक्तियुक्तकरण के बाद केवल 1,207 प्राइमरी स्कूल में ही एक टीचर रह गए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने बताया है कि, अतिशेष शिक्षकों का चिह्नांकन विषयवार किया गया है।
इस तरह किया गया चिह्नांकन
यदि किसी संस्था में किसी एक विषय के टीचर को सरप्लस पाया गया, लेकिन उसी संस्था में सेटअप के आधार पर किसी अन्य विषय का पद रिक्त था, तो ऐसे सरप्लस शिक्षक का युक्तियुक्तकरण करते हुए आवश्यकता के आधार पर रिक्त विषय के पद पर उस विषय के शिक्षक की पदस्थापना की गई है।
स्कूलों में पदस्थापना तिथि के आधार पर अतिशेष शिक्षकों का चिह्नांकन किया गया है। इस दौरान विषय, विकलांगता और योग्यता का भी विशेष ध्यान रखा गया। इसके अलावा, सरप्लस शिक्षकों की गणना उनकी सेवा पुस्तिका में दर्ज मूल विषय के आधार पर की गई है। जिन शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण के बाद कार्यमुक्त होकर नवीन पदस्थापना स्थल में कार्यभार ग्रहण कर लिया है, उनके वेतन आहरण की कार्रवाई पूर्व पदस्थ संस्था से प्राप्त अंतिम वेतन प्रमाणपत्र के आधार पर की जा रही है।
शिकायतों पर कार्रवाई जारी, जल्द सॉल्व करने का दावा
इसी तरह, युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के दौरान कई शिक्षकों से प्राप्त अभ्यावेदन (जिनमें न्यायालयीन प्रकरण भी सम्मिलित हैं) पर शासन गंभीरता से परीक्षण कर रहा है। इन प्रकरणों की जांच संभागीय आयुक्त की समिति, संचालनालय स्तरीय समिति और शासन स्तरीय समिति में की जा रही है। जल्द ही इनका निराकरण कर लिया जाएगा