बाद में पति ने उसे मायके में छोड़ दिया। महिला ने आर्थिक संकट के चलते पति से भरण-पोषण दिलाने की मांग की। साथ ही कहा कि पति भिलाई में कपड़े का व्यवसाय करता है और हर माह करीब 70 हजार रुपए कमाई है। इस आधार पर पति उसे हर माह 20 हजार रुपए गुजारा भत्ता दे।
पति ने कहा- झूठे केस में फंसाने की देती थी धमकी
दूसरी तरफ, पति ने पत्नी के आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि, पत्नी बिना किसी वजह के अलग रह रही है। उसे और उसके माता-पिता को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देती थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद रायगढ़ के फैमिली कोर्ट ने 27 सितंबर 2021 को महिला की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दी थी। उसके पास अलग रहने का कोई उचित कारण नहीं है। पति पर घरेलू हिंसा का भी आरोप, कोर्ट से हो चुका बरी
महिला ने पति और उसके परिजनों पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। इस मामले में रायगढ़ के जेएमएफसी कोर्ट ने पति और उसके परिजनों को बरी कर दिया था। फैमिली कोर्ट के आदेश में इसका भी उल्लेख किया गया था। हालांकि, महिला ने जेएमएफसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जो मामला अभी लंबित है।
हाईकोर्ट ने कहा- भरण-पोषण की हकदार नहीं
महिला की याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि, सबूतों से यह स्पष्ट है कि महिला अपनी इच्छा से अलग रह रही है और जब तक वह अलग रहने का उचित कारण साबित नहीं करती, तब तक वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं हो सकती।