यह परिक्रमा लगभग चार सालों में पूरी होने का अनुमान है। धर्मराज पुरी महाराज ने यह संकल्प दशहरा के दिन अमरकंटक में नर्मदा के उद्गम स्थल से शुरू किया था।
जानकारी के मुताबिक, बाबा रोजाना लगभग दो से तीन किलोमीटर का सफर तय करते हैं। 7 दिनों में उन्होंने लगभग बीस किलोमीटर की दूरी तय कर ली है।
छत्तीसगढ़ से होते हुए वे महाराष्ट्र के रास्ते गुजरात पहुंचेंगे, जहां समुद्र तट पार करने के बाद नर्मदा के उत्तरी तट से वापस अमरकंटक आकर अपनी परिक्रमा पूरी करेंगे।
यह तपस्या आस्था और समर्पण का एक अद्भुत उदाहरण है। इस संबंध में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के देवेंद्र पुरी महाराज ने जानकारी दी।