इसी बीच छात्रावास में रहने के दौरान वह रैडिकल स्टूडेंट्स यूनियन के संपर्क में आया। वहीं नक्सली संगठन के पूर्व महासचिव रहे नंबाला केशव राव के निर्देश पर 1981 में वह अंडरग्राउंड हो गया।
इसके बाद 1986 तक उसने राष्ट्रीय उद्यान दलम में दलम सदस्य के रूप में काम किया और लंकापापिरेड्डी दलम का कमांडर बना। कोंटा में 6 लोगों की हत्या की
1987 से 1991 तक उसने दक्षिण बस्तर के कोंटा दलम सदस्य रहते हुए 6 लोगों की हत्या की। 1988 में वह गोलापल्ली-मरईगुड़ा हमले में भी शामिल रहा, जिसमें 20 CRPF जवान शहीद हो गए थे।
इस घटना के बाद नक्सली जवानों के हथियार लूट लिए थे। ये येतिगडू हमले में भी शामिल था। 8 पुलिस जवानों की हत्या किए और हथियार लुटे थे।
1987 में इसे एरिया कमेटी का सदस्य बनाया गया था। 1990 में रमन्ना के साथ तारलागुड़ा थाने पर हमले की वारदात में भी था। वहीं जिसके बाद इसे किसी ठिकाने से छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
1991 में जेल से भागा था
गिरफ्तारी के बाद इसे जगदलपुर की जेल में रखा गया था। यहां कुछ दिन रहने के बाद यहीं अपने अन्य 3 साथियों के साथ इसने जेल से भागने की योजना बनाई थी। जिसके बाद 1991 में चादर की रस्सी बनाया और इसी के माध्यम से दीवार फांद कर भाग गया था। तब से पुलिस इसकी तलाश कर रही थी। ये पिछले कई सालों से किसी बीमारी से भी जूझ रहा है।
कुछ साल से संगठन को छोड़कर अपने गांव में रह रहा था। वहीं से नक्सल संगठन के काम कर रहा था। लेकिन, पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते और एनकाउंटर के डर से इसने तेलंगाना पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। सरेंडर कर लिया।
बड़े लीडरों के साथ किया है काम
ये नंबाला केशव राव, रमन्ना जैसे बड़े नक्सलियों के साथ काम किया था। ये दोनों फ्रंट लाइन के लीडर थे। हालांकि, ये दोनों नक्सली मारे गए हैं। ऐसे में सरेंडर करने वाला नक्सली नक्सल संगठन से जुड़े कई राज पुलिस के सामने खोल सकता है। जिससे नक्सल मोर्चे पर पुलिस को फायदा होगा