रक्षित केंद्र दुर्ग में पदस्थ आरक्षक क्रमांक 597 अर्जुन दुबे के खिलाफ दो गंभीर आरोपों पर विभागीय जांच की गई थी। जांच में पाया गया कि दुबे सुपेला सब्जी मंडी क्षेत्र में छोटे माल वाहनों से ओवरलोडिंग चालान के बदले प्रति वाहन 200 रुपए से 800 रुपए तक की अवैध वसूली करता था। उसने ट्रांसपोर्टर दुर्गेश सिन्हा से 5600 रुपए अपने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के खाते में भी प्राप्त किए थे। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अभिषेक झा ने जांच में सभी आरोपों को प्रमाणित पाया।
आरक्षक पर लगे आरोप जांच में साबित
विभागीय जांच की पूरी प्रक्रिया के दौरान आरक्षक अर्जुन दुबे को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया, लेकिन उसने कोई जवाब पेश नहीं किया। जांच में बैंक ट्रांजेक्शन सहित अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर आरोप पूरी तरह प्रमाणित हुए।
दुबे को पहले भी कर्तव्य में लापरवाही पर एक वेतनवृद्धि रोकने का दंड दिया जा चुका था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने पाया कि आरक्षक ने भ्रष्ट आचरण प्रदर्शित कर विभाग की छवि धूमिल की है, जिसके बाद पुलिस रेग्यूलेशन पैरा 221(क) के तहत उसे सेवा से पृथक करने का आदेश जारी किया गया।
एक अन्य कार्रवाई में, स्मृति नगर पुलिस चौकी में पदस्थ एएसआई प्रमोद सिंह और आरक्षक रवि ठाकुर को चौकी में आने वाले फरियादियों से दुर्व्यवहार करने के मामले में तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच किया गया है। दोनों के खिलाफ शिकायत एसएसपी तक पहुंची थी। जांच में आरोप सही पाए जाने पर उन्हें रक्षित केंद्र में रवानगी का आदेश जारी कर दिया गया है।
पुलिस विभाग में अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में एसएसपी विजय अग्रवाल ने बड़ी कार्रवाई की है।