
दरअसल, बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में छठ पर्व ज्यादा मनाया जाता है, लेकिन पिछले एक दशक से छत्तीसगढ़ में भी उत्साह देखा जा रहा है। शहर में बसे पूर्वांचल के लोगों के साथ ही स्थानीय लोग भी इसे मनाने लगे हैं। दरअसल बिलासपुर का घाट 7 एकड़ में फैला है, इतना बड़ा घाट देश में और कही नहीं है।
नहाय खाय के साथ 25 अक्टूबर से पर्व की शुरुआत
शहर में छठ पूजा आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रवीण झा समेत पदाधिकारी अरपा नदी के तट पर बने छठघाट की साफ-सफाई और रंग-रोगन के काम में जुट गए हैं। समिति के पदाधिकारियों ने महापर्व के सफल आयोजन के लिए तैयारियों का निरीक्षण कर सभी को जिम्मेदारियां सौंपी है
7 एकड़ में बना छठघाट, 50 हजार श्रद्धालु होंगे शामिल
पर्व मनाने घाटों, नदी या तालाब के घाटों का विशेष महत्व है। यहां डूबते और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हुए छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है। छठ पूजा के लिए बिहार में सैकड़ों घाट हैं। बिलासपुर जैसा स्थायी और बड़ा घाट तो पर्व के उद्गम स्थल बिहार में भी नहीं है।
छठ मुख्य रूप से बिहार प्रांत का पर्व है। बिलासपुर के तोरवा स्थित छठ घाट साढ़े 7 एकड़ में फैला हुआ है। यहां एक किलोमीटर एरिया में पूजा और अर्घ्य के लिए बेदी बनाई जाती है। जिसमें 50 हजार से अधिक श्रद्धालु एक साथ सूर्य देव को अर्घ्य दे सकते हैं।