छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पिछले 25 सालों में ग्रामीण इलाकों को जोड़ने के लिए कुल 193 सड़क परियोजनाएं पूरी की गई

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पिछले 25 सालों में ग्रामीण इलाकों को जोड़ने के लिए कुल 193 सड़क परियोजनाएं पूरी की गई हैं। इनमें से 46 सड़कों पर बारिश के दौरान आवाजाही प्रभावित होती रहती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सड़क निर्माण के साथ ही जिले में 2001 से 2010 तक 61 पुलों के निर्माण को मंजूरी वित्तीय कारणों से नहीं मिल पाई है। इनमें बिंद्रानवागढ़ क्षेत्र सबसे प्रभावित है, जहां 48 पुल निर्माण के मामले राजनीतिक विवादों में फंसे हुए हैं। प्रशासनिक मंजूरी हुई, वित्तीय मंजूरी लंबित

 

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य गठन के बाद से पिछले 25 सालों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत ग्रामीण अंचलों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए 317.5 करोड़ रुपए की लागत से 1095.44 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई हैं।

 

इन सड़कों में से 46 सड़कें 50 गांवों को जोड़ती हैं, जहां पुलियों के अभाव में आवाजाही बाधित होता है। 2001 से 2010 के बीच इन 61 पुलों के लिए 128.68 करोड़ रुपए की प्रशासनिक मंजूरी दी जा चुकी थी, लेकिन बजट उपलब्ध न होने के कारण पुलों का निर्माण नहीं हो सका।

 

हेड बदलने के बाद 20 उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण लोकनिर्माण विभाग को सौंपा गया, लेकिन वित्तीय स्वीकृति अब तक नहीं मिली। बावजूद इसके स्वीकृत इन कार्यों के लिए सरकार ने पैसे नहीं दिए। बिंद्रानवागढ़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा असर

 

48 पुल बिंद्रानवागढ़ क्षेत्र में हैं, जो दुल्ला, अमलीपदर, सगड़ा, केकराजोर, मोगराडिह, लोहारी, बेग़रपाला, अमाड, गोबरा, आमदी, हाथबाय, पिपर छेड़ी, दर्रिपारा, गुहिया मुड़ा, छिंदभट्ठा, सातधार, सेंदबहारा, साहसखोल, कुकरार, पतोरा दादर, गौर, सिहार, जटियातोड़ा जैसे गांवों को जोड़ते हैं।

 

इन पुलों के अभाव में बरसात के दौरान ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदियों को पार करना पड़ता है। कभी गर्भवती महिलाओं को खाट पर लादकर पार किया जाता है, तो कभी तेज बहाव में जनजाति के लोग ट्यूब के सहारे नदी पार करते हैं। बाइक और ट्रेक्टर सहित कई हादसे भी सामने आए हैं।

 

जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम और लोकेश्वरी नेताम के नेतृत्व में कई बार प्रदर्शन किए गए। क्षेत्रीय विधायक जनक ध्रुव ने भी पुल की मंजूरी को प्राथमिकता में शामिल करने के लिए शासन से पत्राचार किया और विधानसभा में मामला उठाया। इसके बावजूद वित्तीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण पुल निर्माण टल रहा है। बिंद्रानवागढ़ के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार- विधायक

 

इस मामले में विधायक जनक ध्रुव ने कहा कि बिंद्रानवागढ़ क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। विधानसभा पटल पर पूल पुलियों के कार्यों की लंबित वित्तीय स्वीकृति देने सरकार का ध्यान आकर्षण कराया गया।

 

शासन-प्रशासन को कई मर्तबा पत्राचार किया गया, पर कोई जवाब नहीं आया। जरूरत पड़ी तो आगे जनता के साथ मिल पुल पुलिया निर्माण के लिए सड़क की लड़ाई लडूंगा।

 

स्थानीय नेताओं की मांग

 

जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम और लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि अधर में पड़े पुलों के निर्माण की मांग बार-बार की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली, तो सड़क और पुल निर्माण के लिए उग्र प्रदर्शन किया जाएगा।

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