दो दशक पहले जहां लोग सांप देखते ही मारने दौड़ते थे, वहीं आज वे रेस्क्यू के लिए अविनाश को फोन करते हैं। अविनाश छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने विश्व के सबसे बड़े 15 फीट के विषधर किंग कोबरा का सफल रेस्क्यू किया है।
बचपन से सांप के लिए नहीं था डर
38 साल के अविनाश बताते है कि जब मैं 1 साल का था तब माता-पिता ने खाट पर सुला दिया था, तभी वहां अचानक एक सांप आ पहुंचा। छोटे बच्चे हर चीज को हाथ में पकड़ लेते है। मेरे पास आया तो मैं सांप का सिर पकड़कर उसके साथ खेल रहा था।
मम्मी किचन से आई और देखी तो डर गई। हल्ला कर सभी को बुला लाई। बाहर से अंकल लोग भी आ पहुंचे जैसे तैसे निकाला। फिर स्कूल का समय आया। स्कूल में लंच ब्रेक के समय सांप निकलता तो लोग दूर भगते थे, लेकिन उसके पीछे जाने का मेरा इंटरेस्ट था।
फिर मैं सांप के बारे में स्टडी करने लगा। फिर धीरे से रेस्क्यू करने लगा। एक समय में हर जगह पहुंचना मुश्किल था, इसलिए लोगों को जागरूक करने लगा। कोरबा में सबसे ज्यादा किंग कोबरा पाया जाता है।
छत्तीसगढ़ के 28 युवा जुड़े
उनकी प्रेरणा से रेप्टाइल केयर एंड रेस्क्यू सोसाइटी की टीम बनी। आज इस टीम में छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से 28 युवा जुड़े हैं।
सांपों के प्रति अविनाश का लगाव बचपन से है। कोरबा के इस स्नेक मैन ने न केवल पर्यावरण संतुलन में योगदान दिया है, बल्कि मानवता की अनूठी मिसाल भी पेश की है।