
23 जनवरी को श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड के माध्यम से वाहन का फाइनेंस स्वीकृत हुआ। इसके बाद सुशील ने डाउन पेमेंट के रूप में 1.45 लाख रुपए फोन-पे से दिए, जिसमें 13 जनवरी को 80 हजार और 9 फरवरी को 65 हजार रुपए का भुगतान शामिल था। विक्रेता को नहीं मिली रकम, वाहन अटका सर्विस सेंटर में
फाइनेंस की रकम जारी होने के बाद राहुल यादव ने 24 जनवरी को बंधन बैंक रायगढ़ से 4.90 लाख रुपए आरटीजीएस से अपने खाते में ट्रांसफर कराए और 9.50 लाख रुपए का चेक भी अपने नाम पर लिया।
पीड़ित के मुताबिक, कुल 15.85 लाख रुपए ब्रोकर को मिले, लेकिन उसने वाहन विक्रेता शाह कोल को एक भी रुपए नहीं दिया। इस कारण वाहन का स्वामित्व सुशील प्रधान के नाम पर स्थानांतरित नहीं हुआ और पिछले 9 महीनों से वाहन शकरा मोटर्स, बिलासपुर के सर्विस सेंटर में खड़ा है।
ब्रोकर ने दिए थे झूठे आश्वासन
पीड़ित ने बताया कि जब उसे धोखाधड़ी का संदेह हुआ तो 24 जुलाई को ब्रोकर ने ई-स्टाम्प पेपर पर इकरारनामा और शपथ पत्र में एक महीने के भीतर मामला सुलझाने का लिखित वचन दिया था, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं किया गया। FIR दर्ज कर जांच शुरू
आखिरकार सुशील प्रधान ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई। जहां पुलिस ने आरोपी राहुल यादव के खिलाफ धारा 318(4) बीएनएस के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।