
दरअसल, अनिल तिवारी, राजेंद्र कुमार पाध्ये और डॉ. दिनेश्वर प्रसाद सोनी ने सूचना आयुक्त की नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी।
इसमें राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए जोड़ी गई शर्त को अनुचित बताते हुए निरस्त करने की मांग की गई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद योग्यता बदलना खेल के बीच में नियम बदलने जैसा है और यह कानूनन गलत है। याचिकाकर्ताओं का तर्क- आरटीआई में अनुभव की सीमा नहीं
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 15(5) और 15(6) में अनुभव की कोई न्यूनतम अवधि तय नहीं है। राज्य सूचना आयुक्त पद की चयन प्रक्रिया में सर्च कमेटी ने 9 मई 2025 को यह निर्णय लिया था कि केवल वे ही उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए योग्य होंगे, जिनके पास विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाजसेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क, प्रशासन या शासन के क्षेत्र में कम से कम 25 साल का अनुभव हो। इसके अलावा आयु 65 वर्ष से कम होनी चाहिए।
राज्य सरकार ने कहा- मानदंड तय करने का अधिकार
इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सर्च कमेटी का यह निर्णय आरटीआई अधिनियम के प्रावधान अनुसार है, जिसमें सूचना आयुक्त पद के लिए व्यापक ज्ञान और अनुभव को आवश्यक बताया गया है।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए बताया गया कि सर्च कमेटी को शॉर्ट लिस्टिंग के मानदंड तय करने का पूरा अधिकार है।