
जब परिवार घर लौटा, तो उन्हें संयम के आत्महत्या करने की जानकारी मिली। इकलौते बेटे की मौत से सदमे में आए माता-पिता और बहन ने उसकी यादों को जीवित रखने के लिए नेत्रदान का निर्णय लिया। अन्य परिजनों से चर्चा के बाद, पिता विजय वाधवानी ने नेत्रदान के लिए स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया। जिला अस्पताल की टीम ने किया नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी
सूचना मिलने पर जिला अस्पताल की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। पोस्टमॉर्टम के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मृतक संयम की आंखों को सुरक्षित रूप से निकाला और उन्हें मेडिकल कॉलेज रायपुर भेज दिया। यह सुनिश्चित किया गया कि उनकी आंखें किसी और के जीवन में रोशनी ला सकें।
नेत्रदान के फैसले की सराहना
परिजन ओम प्रकाश चावला ने बताया कि संयम के मौत से परिवार और मोहल्ले में शोक की लहर है। उन्होंने माता-पिता के नेत्रदान के फैसले को महत्वपूर्ण बताया। सिंधी समाज के सदस्य अशोक कुमार चारवानी ने नेत्रदान को ‘महादान’ बताते हुए कहा कि इससे मृतक की आंखें दुनिया को देख सकती हैं और किसी का सहारा बन सकती हैं। डॉक्टरों ने पुष्टि की आत्महत्या की
जिला अस्पताल के डॉक्टर त्वजश शाह ने पुष्टि की कि युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी और जांच के बाद उसे मृत घोषित किया गया। उन्होंने परिवार के नेत्रदान के महत्वपूर्ण फैसले की सराहना की और बताया कि उनकी इच्छा के अनुसार त्वरित कार्रवाई कर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की गई।