भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) में आग से झुलसे ठेका श्रमिक रंजीत सिंह की 15 दिन बाद इलाज के दौरान मौत

Chhattisgarh Crimesभिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) में आग से झुलसे ठेका श्रमिक रंजीत सिंह की 15 दिन बाद इलाज के दौरान मौत हो गई। जांच में सुरक्षा इंतजामों में गंभीर कमी और प्रबंधन की लापरवाही सामने आने के बाद भिलाई भट्ठी थाना में संयंत्र प्रबंधन के खिलाफ धारा 304-A और 285 IPC के तहत मामला दर्ज किया गया है। रंजीत सिंह (38 साल) कैंप-01, प्रगति नगर का रहने वाला था। वह मेसर्स मारुति कंस्ट्रक्शन के तहत SMS-2 कंटिनुअस कास्टिंग शॉप, कास्टर-06 में ठेका श्रमिक के रूप में कार्यरत था।

 

यह घटना 25 अप्रैल को दोपहर लगभग 3.15 बजे हुई, जब रंजीत इक्विपमेंट कूलिंग पाइपलाइन बदलने के लिए पाइप शिफ्टिंग का काम कर रहा था। इसी दौरान कार्यस्थल पर मौजूद ज्वलनशील पदार्थ में अचानक आग लग गई।

 

आग की चपेट में रंजीत सिंह के साथ तीन अन्य श्रमिक राजू तांडी, रमेश मौर्य और अमित सिंह भी आ गए। सभी घायलों को तत्काल मेन मेडिकल पोस्ट ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल पहुंचने पर कार्यपालिक दंडाधिकारी ने सभी झुलसे श्रमिकों के मरणासन कथन दर्ज किए।

 

डॉक्टरों की रिपोर्ट के मुताबिक, रंजीत सिंह 100% जल गए थे और उन्हें इनहेलेशन इंजरी भी हुई थी। लगातार उपचार के बावजूद उनकी हालत बिगड़ती गई और 9 मई की रात 10 बजे अस्पताल में उनका निधन हो गया। अस्पताल प्रबंधन ने रात 12.05 बजे पुलिस को उनकी मौत की सूचना दी। दुर्ग पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की। जांच के दौरान दंडाधिकारी के बयान, घायल श्रमिकों के कथन, अस्पताल की रिपोर्ट और घटनास्थल के तथ्यों की समीक्षा की गई।

 

जांच में यह पाया गया कि कार्यस्थल पर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं थे और ज्वलनशील पदार्थों के बीच काम करते समय श्रमिकों को उचित सुरक्षा सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई थी। जोखिमपूर्ण क्षेत्र में काम कर रहे थे मजदूर

 

जांच अधिकारी के अनुसार, आगजनी के समय न तो सेफ्टी सुपरविजन पर्याप्त था और न ही यूनिट में फायर-सेफ्टी उपकरण प्रभावी रूप से उपलब्ध थे। सुरक्षा मानकों की उपेक्षा करते हुए ठेका श्रमिकों को जोखिमपूर्ण क्षेत्र में काम कराया जा रहा था। इसके चलते न केवल रंजीत सिंह की जान गई, बल्कि अन्य श्रमिक भी गंभीर रूप से घायल हुए।

 

जांच के बाद कार्रवाई

 

इन निष्कर्षों के आधार पर पुलिस ने भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन की लापरवाही को सीधे तौर पर मौत और दुर्घटना का कारण मानते हुए धारा 304-A (लापरवाही से मृत्यु) और 285 (ज्वलनशील पदार्थ के प्रति लापरवाही) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है।

 

मजदूर संगठन अब इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

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