साथ ही इन प्लॉट्स को संबंधित पंचायतों के अधीन करने का आदेश भी जारी किया है। प्रभावित पंचायतों में मजरकट्टा, आमदी, पारागांव और केशोडार शामिल हैं। तत्कालीन एसडीएम संध्या ठाकुर की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, इन अवैध प्लॉट्स पर क्रेताओं के अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। उन्हें सभी करों से मुक्त करते हुए इन भूमियों को पंचायतों के अधीन कर दिया गया है।
पंचायती राज अधिनियम के इन धाराओं का उल्लंघन
मई 2025 में जारी इस आदेश में पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 61(घ)(2) सहित अन्य धाराओं के उल्लंघन का उल्लेख किया गया है। वर्तमान एसडीएम प्रकाश राजपूत ने बताया कि आदेश का पालन कराया जा रहा है। सभी क्रेताओं को सुनवाई के लिए उपस्थित होने को कहा जा रहा है और संबंधितों से अभिस्वीकृति के बाद प्रकरण नस्ती किया जाएगा।
कृषि भूमि के डायवर्सन पर रोक
गरियाबंद नगर पालिका बनने के बाद से पालिका सीमा के आसपास कृषि भूमि के डायवर्सन पर रोक लगा दी गई है। इसका कारण यह है कि नगर निवेश विभाग सिटी प्लानिंग का कार्य देख रहा है। जिला मुख्यालय होने के कारण शहर का तेजी से विकास होता देख भू-माफिया ने कृषि भूमियों को कम दामों पर खरीद लिया और फिर बिना परिवर्तन कराए ही वर्ग फुट के हिसाब से बेच दिया।
अब नगर पालिका क्षेत्र में हुई अवैध प्लाटिंग पर भी कार्रवाई की संभावना है। पिछले 10 से गरियाबंद मुख्यालय और उसके आसपास के क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा था, जिस पर अब प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है।