दफ्तर में संसाधनों की कमी, पदोन्नति, ऑफिस की मरम्मत, गाड़ी की सुविधा जैसे 17 मांगे हैं जिसे लेकर छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले विरोध जताया जाएगा। आज पहले दिन जिला मुख्यालय में प्रदर्शन होगा। दूसरे दिन संभागीय मुख्यालयों में और तीसरे दिन रायपुर में प्रदेश स्तरीय धरना होगा।
जानिए आंदोलन का क्या होगा असर
तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के आंदोलन पर जाने से तहसील कार्यालयों में आम लोगों से जुड़ी कई सेवाएं प्रभावित होंगी। जैसे जमीन संबंधी काम के साथ ही नामांतरण, बंटवारा, खसरा-खतौनी की प्रतिलिपि, जाति-आय और निवास प्रमाण पत्र के साथ ही सीमांकन और न्यायालयीन कार्य नहीं होंगे।
ठोस पहल नहीं होने पर हड़ताल
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा शासन से लंबे समय से अपनी समस्याओं को दूर करने की मांग की जा रही है। संघ की ओर से पहले भी शासन-प्रशासन को बार-बार इन मांगों से अवगत कराया गया है। लेकिन, कोई ठोस पहल न होने की स्थिति में अब प्रदेशभर के राजस्व अधिकारियों को आंदोलन की राह पर उतरना पड़ रहा है।
उनका कहना है कि दफ्तर में संसाधनों की कमी, पदोन्नति, संरचनात्मक सुधार जैसे मांगों को भी राज्य सरकार अनदेखी कर रही है। पिछले दिनों संघ की बैठक में प्रदेश के पदाधिकारियों ने विरोध करने और हड़ताल पर जाने से पहले सरकार के समक्ष मांगे रखी गई, जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है और न ही आश्वासन दिया गया है। ऐसे में अब संघ ने 28 जुलाई से तीन दिवसीय हड़ताल करने का ऐलान किया है।
आज जिला मुख्यालयों में करेंगे धरना-प्रदर्शन
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि सरकार के खिलाफ आंदोलन के पहले चरण में जिला स्तर पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। जिसमें “संसाधन नहीं तो काम नहीं” नारों के साथ अफसर धरने पर बैठेंगे। जिसके बाद दूसरे दिन 29 जुलाई को संभागीय मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें सभी जिलों के तहसीलदार और नायब तहसीलदार शामिल होंगे।
अंतिम चरण में 30 जुलाई को प्रदेश भर के राजस्व अधिकारी रायपुर में प्रदेश स्तरीय धरना-प्रदर्शन करेंगे। संघ ने साफ कहा है कि इस आंदोलन के बाद भी अगर सरकार द्वारा मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया, तो वे आगे और उग्र आंदोलन करेंगे।