1408 दिन एब्सेंट रहे डॉक्टर चला रहे थे अपना अस्पताल

Chhattisgarh Crimesदंतेवाड़ा जिले के गीदम में पोस्टेड डॉ देवेंद्र प्रताप 21 अगस्त 2021 से बिना अवकाश लिए लगातार 46 महीने 11 दिन ( कुल 1408 दिन) एब्सेंट थे। 5 बार नोटिस मिलने के बाद भी डॉ देवेंद्र प्रताप ने दंतेवाड़ा CMHO कार्यालय में कार्य में न आने की वजह की लिखित में जानकारी नहीं दी थी।

अब ज्वॉइनिंग से पहले डॉक्टर ने उप संचालक (स्वास्थ्य सेवाएं) को पारिवारिक कारण बताया और सेवा से बिना सूचना के 1408 दिन एब्सेंट रहने के बाद BMO (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) बनकर सेवा में लौट आए हैं। दंतेवाड़ा के CMHO अजय रामटेके का कहना है कि इन्हें पद देने ऊपर से आदेश था।

श्री बालाजी केयर मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल खोला

जबकि, एब्सेंट वाले समय में उन्होंने संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में अपनी पत्नी के साथ मिलकर खुद का श्री बालाजी केयर मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल खोला था। बस्तर जिले के CMHO डॉ संजय बसाख का कहना है कि इस अस्पताल में लापरवाही से मरीज की मौत हुई थी। परिजनों ने हंगामा किया था। जांच में पता चला था कि डॉक्टर नहीं थे, अस्पताल का रजिस्ट्रेशन भी नहीं था।

इधर, नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ श्रेयांश जैन ने कहा कि डॉ देवेंद्र प्रताप और उनकी पत्नी खुद इस अस्पताल के मालिक हैं। सील के 1 महीने बाद अस्पताल खुल गया। इनके पास अस्पताल का रजिस्ट्रेशन हैं। उन्होंने कहा कि CMHO संजय बसाख ने रजिस्ट्रेशन न होना क्यों कहा मुझे नहीं मालूम।

सवालों में स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

सवाल पूछने पर नोडल अधिकारी श्रेयांश जैन भड़क गए और उन्होंने ज्यादा कुछ कहने से मना कर दिया। अब CMHO डॉ संजय बसाख और नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डॉ श्रेयांश जैन के अलग-अलग बयान ने स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

अब जानिए अस्पताल से जुड़ा क्या है पूरा मामला?

अगस्त 2024 में श्री बालाजी केयर अस्पताल में बीजापुर जिले के माटवाड़ा गांव के रहने वाले रामपाल यादव को भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान इनकी मौत हो गई थी। परिजन हेमलता यादव के मुताबिक इनके घुटने में दर्द की शिकायत थी। इसी का इलाज करवाने यहां लाए थे।

घुटने दर्द की शिकायत थी, अस्पताल में किडनी में सूजन

परिजनों ने तब मीडिया को बताया था कि, डॉक्टरों ने किडनी में सूजन और पेट फूलना की जानकारी दी थी। यहीं मनमाने तरीके से इलाज करते गए। मरीज की हालत बिगड़ती गई। उसे न तो बाहर ले जाने देते थे और न ही परिजनों को मरीज से मिलने देते थे। इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई थी। जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया था।

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