मुख्यमंत्री ने केंद्र से मांगी एथेनाल रिफाइनरी

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर धान की फसल के अवशेष से एथेनॉल उत्पादन के लिए रिफाइनरी स्थापित कराने की मांग की है। उन्होंने राज्य में तेल कंपनियों के माध्यम से एक वाणिज्यिक एवं एक प्रदर्शन परियोजना की स्वीकृति प्रदान करते हुए दूसरी पीढ़ी के एथेनॉल रिफाइनरी की स्थापना की कार्यवाही का निर्देश देने का आग्रह किया है। अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर राज्यों में सहयोग के एक संवैधानिक मंच मध्य क्षेत्रीय परिषद के अध्यक्ष भी हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में मध्यक्षेत्र परिषद की 22 अगस्त को भोपाल में हुई बैठक का हवाला दिया है। उन्होंने लिखा है, मेरे द्वारा राज्य में, प्रधानमंत्री ‘जी-1‘ योजना (जैव ईंधन-वातावरण अवशेष निवारण) के अंतर्गत फसल अवशेषों के निवारण के लिए लिग्नों सेल्यूलॉजिक बायोमॉस आधारित बायो एथेनॉल उत्पादन हेतु नासिरेजलर (2जी) के संबंध में भारत सरकार की तेल विपणन कम्पनी द्वारा रिफाइनरी स्थापित किए जाने का अनुरोध किया गया था। छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि फसलों विशेषकर, धान का अनुमानित वार्षिक उत्पादन 137 लाख मीट्रिक टन है। इससे मिलने वाले बायोमॉस के निपटान के लिए (2जी) लिग्नों सेल्यूलॉजिक बायोमॉस आधारित रिफाइनरी के लिए राज्य में समस्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा है, राज्य सरकार के नगरीय निकाय और गौठान समितियों के द्वारा बैकवार्ड लिंकेज के माध्यम से लिग्नों सेल्यूलॉजिक बायोमॉस उपलब्ध कराने के लिए भी स्ट्रेतजिक पार्टनरशिप किया जा सकता है। इसके माध्यम से योजना के उद्दश्यों की पूर्ति के लिये निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार कृषि अवशेषों को जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण एवं नगरीय क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट निपटान की समस्या में कमी की जा सकेगी।

छत्तीसगढ़ में अभी पहली पीढ़ी के एथेनाल उत्पादन पर काम चल रहा है। उद्योग विभाग के विशेष सचिव हिमशिखर गुप्ता ने बताया, भाेरमदेव शक्कर कारखाने में एथेनाल प्लांट जनवरी तक तैयार हो जाएगा। यहां गन्ने के शीरे से एथेनाल बनाया जाना है। कोण्डागांव में मक्के से एथेनाल बनाने का प्लांट सहकारिता क्षेत्र में बन रहा है। चार निजी कंपनियां मल्टी फीड से एथेनाल बनाने की इकाईयां लगा रही हैं। वहीं कई कंपनियों का काम विभिन्न स्तरों पर है। सरकार ने इस क्षेत्र में कुल 26 एमओयू किए हैं। अगले साल तक इनमें से कई में उत्पादन शुरू हो जाएगा।

राज्य सरकार की योजना यहां के अतिरिक्त धान से एथेनाल बनाने की है। तर्क है कि इससे किसानों की अतिरिक्त उपज के भी बेहतर दाम मिल जाएंगे। वहीं जैविक ईधन उत्पादन से देश का पैसा भी बचेगा। केंद्र सरकार ने अभी तक धान से एथेनाल बनाने की अनुमति नही दी है। चावल के टुकड़ों-कनकी से मल्टीफीड प्लांट में एथेनाल बनाने की अनुमति है। सरकार बार-बार धान से एथेनाल बनाने की अनुमति मांग रही है।

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