रायपुर। शांतिनगर के सिंचाई कालोनी के बाद कटोरातालाब में जोगी बंगले से इस मुहिम की शुरूआत होने जा रही है। राजधानी में ऐसे कई सरकारी कालोनी और जगह है जो पुराने होने के साथ जर्जर हो नए है जिन्हें डिसमेंटल कर नए तरीके से मकान-दुकान एक साथ बनाने की सरकार ने योजना बना रखी है। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के राजधानी स्थित जोगी बंगला का वजूद खत्म करने की तैयारी है। कटोरा तालाब स्थित जोगी बंगले (सागौन बंगला) समेत लोक निर्माण विभाग के संभागीय कार्यपालन यंत्री के पुराने दफ्तरों को तोड़ने का मास्टर प्लान पीडब्ल्यूडी ने तैयार किया है। इस जगह पर कमर्शियल काम्प्लेक्स बनाया जाएगा। सरकार से हरी झंडी मिलते ही पीडब्ल्यूडी के तीन उपसंभाग दफ्तरों को खाली कर पुराने ईएनसी दफ्तर परिसर में शिफ्ट भी किया जा चुका है। पुराने स्टाफ क्वार्टर और परिसर में रहने वाले चतुर्थ श्रेणी के पूर्व कर्मचारियों के परिवार के लोगों को जगह खाली करने के लिए नोटिस दिया गया है।
पीडब्ल्यूडी के जानकार सूत्रों ने बताया कि कोरोना काल में सरकारी संपत्ति का उपयोग आमदनी के लिए करने का पहला प्रयोग राजधानी रायपुर से शुरू किया जा रहा है। कटोरा तालाब और सिविल लाइन के बीच की बेशकीमती छह एकड़ से अधिक सरकारी जमीन पर जल्द ही कामर्शियल और रेसिडेंशियल काम्प्लेक्स बनाने का काम शुरू होगा। इसी जमीन पर सागौन बंगला है जो स्व. अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी व बेटे अमित जोगी का 17 साल से निवास स्थान है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जीवित रहते तक सरकारी अमले ने सागौन बंगले को इस मास्टर प्लान से अलग रखा था। केवल बंगले से लगे पीडब्ल्यूडी के संभागीय कार्यपालन यंत्री दफ्तर और पुराने क्वार्टर को तोड़ने की योजना बनी थी। जोगी के निधन के बाद सागौन बंगले को भी इस योजना में शामिल किया गया। हालांकि इस संबंध में कोई भी जिम्मेदार अफसर अधिकृत तौर पर कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि यह सरकार का फैसला है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत कटोरा तालाब में पुराने दफ्तरों, आवास को तोड़कर वहां पर कांप्लेक्स बनाने की योजना है, जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। – विजय कुमार भतपहरी, मुख्य अधीक्षण अभियंता, लोक निर्माण विभाग