मरीजों को 6 माह की दवा फ्री
टीबी के मरीजों के लिए केंद्र सरकार छह माह के कोर्स के लिए दवा नि:शुल्क बांटती है। 3 एफडीसी व 4 एफडीसी दवा मरीजों को नियमित रूप से दी जा रही है। ये तीन दवाओं का कांबीनेशन होता है। इसमें आइसोनाइजिड, पैराजिनामाइड व रिफापिंसिन होता है। ये टीबी के इलाज में रामबाण दवा है। नियमित दवा नहीं मिलने पर टीबी के मरीज गंभीर होकर एमडीआर टीबी के मरीज बन जाते। विशेषज्ञों के अनुसार यह सामान्य टीबी से घातक होता है। ये एक साथ 10 से ज्यादा मरीजों को संक्रमित कर सकते हैं।
टीबी के लक्षण
तीन हफ़्तों से ज़्यादा की खांसी।
शाम को नियमित रूप से बुखार।
छाती में दर्द होना।
वज़न कम होना।
भूख में कमी होना।
बलगम के साथ खून आना।
रात में पसीना आना।
लगातार थकान होना।
सांस लेने में दिक्कतें।
डॉ. आरके पंडा, एचओडी चेस्ट नेहरू मेडिकल कॉलेज
टीबी के मरीजों को अब नियमित दवा मिलने लगी है। 20 साल पहले की तुलना में मरीजें की मौत नगण्य हो गई है। एडवांस दवाओं से मरीजों का जीवन बढ़ गया है। मरीजों को दवा का डोज पूरा करना होगा। तभी बीमारी पूरी तरह ठीक होगी। टीबी खांसने व छींकने से भी फैलता है। इसलिए बेहतर है कि मॉस्क लगाकर रखें।
डॉ. कृष्णकांत साहू, एचओडी कार्डियक सर्जरी नेहरू मेडिकल कॉलेज
टीबी से फेफड़ों में छेद या फोड़ा होने पर ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ सकती है। टीबी के करीब 60 फीसदी मरीजों को हार्ट संबंधी बीमारी होती है। इसमें पेरीकार्डिटिस कॉमन है। इसका मतलब है पेरीकार्डियम की सूजन। पेरीकार्डियम हार्ट के चारों ओर एक सुरक्षात्मक थैली जैसी झिल्ली होती है। लक्षण दिखते ही इलाज कराएं।