प्रवीण खरे/ रायपुर। प्रदेश सहित पूरे भारत इन दिनों कोरोना संक्रमण के चलते भयभीत, परेशान और हालाकान है। सरकारी तंत्र, कोरोना वारयर्स कोरोना से संक्रमीत नागरिकों को राहत पहुंचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है ताकि हर एक जिंदगी को बचाया जा सके। इन सबके बीच प्रदेश के आदिवासी वनांचल बाहुल्य जिला गरियाबंद अंतर्गत मैनपुर ब्लाक में रहने वाले पत्रकार एवं प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसायटी के डायरेक्टर तीव कुमार सोनी ने बड़ा दावा किया है कि उनके बताये विधि से वैज्ञानिक तरीके से यज्ञ किया जाता है तो ना केवल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश से अपितू भारत सहित पूरे विश्व से कोरोना वायरस को नियंत्रित और खत्म किया जा सकता है। पत्रकार व रिसर्चर तीव कुमार सोनी ने कोरोना (रिसर्च) को प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली 27 नवंबर 2020 को भेजा है। रिसर्चर सोनी का कहना है कि वे लगातार अपनी शोध रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली भेज रहे हैं पर एक छोटे व पिछड़े स्थान से आने के कारण उनके रिसर्च पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जबकि मेरे रिसर्च और बताये वैज्ञानिक तरीके से हम सबको कोरोना वायरस से निजात मिल सकता है।
रिसर्चर श्री सोनी ने बताया कि उन्होंने कोरोना वायरस, भूकंप, महामारी सहित प्रकृति एवं संस्कृति विषयों पर शोध किया है और 20 वैज्ञानिक रिसर्च भारत सरकार को भेज चुका हूं। मैने अपने रिसर्च में बताया है कि सूर्य के इलेक्ट्रो मैग्नेटिव बल के द्वारा कोरोना वायरस को वैज्ञानिक विधियों से कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। उनका कहना है कि रिसर्च रिपोर्ट में अलबर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत ई-एमसी2 के द्वारा सूर्य के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बल से कोरोना वायरस को नियंत्रित किये जाने का रिसर्च और वैज्ञानिक मॉडल विवरण प्रस्तुत किया गया है।
रिसर्चर का यह भी कहना है कि अगर मेरा रिसर्च दावा गलत निकलता है तो सरकार कानून समंत जो सजा देगा वह सहर्ष स्वीकार करूंगा। मो मकसद सिर्फ लोगों की जान बचाना है।
सूर्य ग्रहण के चलते आई यह विपदा
रिसर्चर सोनी के दावे को माने तो जून और दिसंबर माह में सूर्यग्रहण होने से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक बल डिस्टर्ब हो जाता है जिसके कारण बड़े-बड़े वायरस व महामारी उत्पन होता है और यह बात वो लगातार अध्ययन और शोध के बाद कह रहे हें। उन्होंने बताया कि पृत्वी में सारी महामारी जैसे एंटोनाइन, प्लेग, जस्टिनियन प्लेग, ब्लैक्, डैथ प्लेग, रशियन फ्लू, स्पेनिश फ्लू, सार्स, स्वाईन फ्लू, कालेरा और कोरोना वायरस आदि ये तभी उत्पन्न हुए हैं जब जून और दिसंबर में सूर्यग्रहण हुआ है। उनका कहना है कि कई बार दो-तीन साल तक लगातार जून और दिसंबर में सूर्यग्रहण हुआ है जिसके कारण वायरस, महामारी भी कई साल तक रहा है। और जब जून और दिसंबर में सूर्यग्रहण होना बंद हुआ है तभी ये वायरस, महामारी समाप्त हुआ है।
कोरोना वायरस की आयेगी छ: लहरे
रिसर्चर के दावे को माने तो कोरोना वायरस की दो लहरे हो चुकी है। 14 दिसंबर 2020 के सूर्यग्रहण के दो माह बाद मार्च, अप्रैल, मई 2021 तक यानी वर्तमान में तीसरी लहर चल रही है। चौथी लहर 21 जून 2021 के सूर्यग्रहण के दो माह बाद सितंबर, अक्टूर, नवंबर में होगी। 4 दिसंबर 2021 के सूर्यग्रहण के ठीक दो माह बाद मार्च, अप्रैल, मई 2022 में पांचवी लहर होगी जो काफी भयानक होगा और छटवीं और अंतिम लहर 2022 में सितंबर, अक्टूबर में होगा। उनका कहना है कि सूर्यग्रहण नहीं होने के कारण कोरोना वायरस का असर कम पड़ जायेगा और यह कोरोना वायरस के समाप्त होने का समय होगा।
कैसे नियंत्रित किया जा सकता है वायरस को
रिसर्चर तीव कुमार सोनी का कहना है कि अलबर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत ई-एमसी2 के द्वारा सूर्य के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बल से कोरोना वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है। उनका कहना है कि अलबर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत ई-एमसी2 से ही पूरा ब्रह्मांड संचालित है और पृथ्वी, पर्यावरण सभी जीव-जंतू, वायरस, भूकंप, सुनामी ज्वालामुखी, वायू-पानी सब कुछ संचालित और नियंत्रित हैं। उनका कहना है कि पृत्वी के केंद्र उन्जैन में दो माह में कोरोना वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट जो केंद्र सरकार को भेजी है उसमें विस्तार से कोरोना वायरस नियंत्रण के उपाए बताये हैं।
भूकंप को लेकर किया रिसर्चर का दावा
रिसर्चर तीव कुमार सोनी ने 23 अप्रैल 2021 को प्रधानमंत्री कार्यालय में अपनी रिपोर्ट भेज कर बताया था कि 25 अप्रैल से 15 जुलाई तक भूकंप का समय काल है। और यह भूकंप गुजरात, राजस्थान, दिल्ली उत्तराखण्ड, असम, त्रिपुरा, जम्मू कश्मीर में आयेगा। उन्होंने इसका अध्ययन सूर्य के विद्युत चुम्बकीय बल के रिसर्च से किया है। उनका कहना है कि 10 जून 2021 को सूर्यग्रहण है और सूर्यग्रहण के 45 दिन पहले और 45 दिन बाद भूकंप आते हैं। उन्होंने बताया कि अप्रैल में दो बार मई में पांच, जून में तीन और जुलाई में दो बार भूकंप आ सकते हैं। अप्रैल में उनके दावे के मुताबिक 28 एवं 29 अप्रैल को असम में तय समय के बीच भूकंप आया है।
बहरहाल एक ओर हमारी सरकारें यह दावा करते थकते नहीं है कि हम ग्रामीण प्रतिभाओं और नई-नई खोजों को आगे लाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं वहीं दूसरी ओर कोरोना जैसी महामारी को नियंत्रित करने की सारी सरकारी कोशिश नाकाफी साबित हो रही है ऐसे में जब सुदुर वनांचल क्षेत्र का एक रिसर्चर कोरोना वायरस को नियंत्रित करने दावे और वैज्ञानिक तरीके बता रहा है तो हमारी सरकार इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रही है समझ से परे है।