महासमुंद। आरटीआई के तहत जिले में रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भंडारण को लेकर सूचना के अधिकार में जो विस्फोटक खुलासा खनिज विभाग ने किया है, उससे सत्ता और संगठन की जड़े हिला कर रख दिया है। अब देखना है कि इसकी जद में कौन कौन आता है। लेकिन एक बात तो स्पष्ट समझा जा सकता है कि सत्ता से जुड़े लोगों ने आम जनता को रेत से कमाई करने का फार्मूला सिखा दिया है। क्योंकि खनिज विभाग द्वारा दी गई जानकारी में यह भी पता चलता है कि इससे पहले जिले में रेत भंडारण को लेकर इतनी बड़ी संख्या में कभी भी किसीने आवेदन नहीं किया था। ऐसा पहली बार हुआ है कि, खनिज विभाग ने अस्थायी रेत भंडारण के लिए 20 लोगों को अनुज्ञा जारी किया है।
खनिज विभाग के अधिकारी एच. डी. भारद्वाज ने आरटीआई के तहत जो सूचना दी है वो सिविल सेवा आचरण के विपरीत जरूर है। वहीं दूसरी ओर रेत के अवैध कारोबार को लेकर प्रदेश में महासमुंद की छबि जो धूमिल हुई है वो किसी से छीपी नहीं है। साथ ही साथ कांग्रेस सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। यहीं नहीं खनिज अधिकारी ने विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकार के लिए सफाई पेश करते हुए सत्ता से जुड़े हुए लोगों पर ठीकरा फोड़ दिया। हालांकि खनिज अधिकारी ने सत्ता से जुड़े उन लोगों का नाम जगजाहिर नहीं किया। लेकिन अब सत्ता के निष्ठावान लोग एक दूसरे को संदेह की निगाह से जरूर देख रहे हैं। यहां यह भी देखने और समझने की जरूरत है कि आखिर खनिज अधिकारी ने विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकार का बचाव करते हुए अवैध रेत की शिकायतकर्ता पूर्व विधायक एवं छत्तीसगढ़ बीज विकास निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकार पर ही राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप राजनीतिक प्रतिद्वंता का उल्टे आरोप मढ़ दिया। महासमुंद जिले में ऐसा पहला मामला सामने आया है कि, किसी विभाग का अफसर सत्ता के खिलाफ सूचना के अधिकार में भंड़ाफोड़ किया हो।
बता दें कि, महासमुंद जिले में रेत का अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण को लेकर पूरे प्रदेश में चर्चित रहा है। वहीं रेत माफियाओं को लेकर खनिज विभाग और कांग्रेस नेताओं पर राजनीतिक संरक्षण का आरोप भी लगते रहे हैं। लेकिन खनिज विभाग से सूचना का अधिकारी के तहत दी गई जानकारी चौकाने वाले थे। खनिज विभाग ने स्वीकार किया है कि रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण में विधायक सेवनलाल चंद्राकार की संलिप्तता नहीं है, परंतु ज्यादातर भंडारण कर्ता सत्ता पक्ष से जुड़े हैं।