पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा-दिवालिया हो गई सरकार, मुख्यमंत्री बोले- डॉक्टर साहब, आप स्मृतिलोप के शिकार तो नहीं ?

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। सरकार की वित्तीय साख बढ़ाने से जुड़े वित्त विभाग के एक आदेश पर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। इस आदेश के हवाले से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ सरकार दिवालिया हो गई है। पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में जारी ऐसे ही आदेश की पूरी सूची सार्वजनिक की है। उन्होंने कहा, डॉक्टर साहब! कहीं आप स्मृतिलोप के शिकार तो नहीं हो गए हैं?

पिछले दिनाें वित्त विभाग ने सभी निगम-मंडल और प्राधिकरणों को अपनी आधिक्य राशि यानी बचा हुआ पैसा के-डिपॉजिट में जमा करने का निर्देश जारी किया। इसके हवाले से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सरकार पर हमलावर हैं। डॉ. रमन सिंह ने गुरुवार को सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ सरकार दिवालिया हो गई है। शायद ही किसी राज्य में ऐसा होता हो कि निगम-मंडलों में इमरजेंसी के लिए जमा राशि को सरकार के के-डिपॉजिट में जमा करने को कहा जाए। तीन साल में 51 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज लेने के बाद भी यह स्थिति है।

डॉ. रमन सिंह ने कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का ATM बना दिया है। थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रमन सिंह के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने 13 दिसम्बर 2013 को वित्त विभाग की ओर से जारी ऐसे ही आदेश की प्रतियां सार्वजनिक कर दीं। इन आदेशों में विभागों तक से एक निश्चित रकम के-डिपॉजिट में जमा करने को निर्देशित किया गया है। इन आदेशों के मुताबिक सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग को 20 करोड़, खनिज विभाग को 100 करोड़, गृह विभाग को 175 करोड़ जमा कराने को कहा गया था। मुख्यमंत्री ने इन दस्तावेजों के साथ लिखा, चिंतित हूं डॉक्टर साहब! कहीं आप स्मृतिलोप के शिकार तो नहीं हो गए हैं?

वित्तीय मुद्दों पर लगातार बना रहा है टकराव

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अपने शासनकाल में वित्त विभाग संभालते रहे हैं। यह विभाग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्राेफाइल में भी शामिल है। ऐसे में सरकार की वित्तीय नीतियों पर दोनों नेताओं के बीच टकराव बना रहता है। डॉ. रमन सिंह मौजूदा सरकार के कर्ज लेने की नीति के तीखे आलोचक हैं। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीधे तौर पर कह दिया है कि किसानों-मजदूरों के लिए कर्ज लेने की जरूरत पड़ी तो लिया जाएगा। उनकी सरकार भाजपा की पिछली सरकार की तरह विलासिता के लिए कर्ज नहीं ले रही है।