शहर के निजी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान नवजात की मौत हो जाने के बाद भी वेंटिलेटर में रखने और पैसे नहीं देने पर शव नहीं देने का मामला सामने आया है। मामले में परिजनों ने इस तरह के आरोप निजी अस्पताल पर लगाए हैं। परिजनों ने इसकी शिकायत थाने में की। जिस पर नवजात के शव को बाहर निकालकर पोस्टमार्टम भी कराया गया। पुलिस मर्ग कायम कर जांच में जुट गई है।
डॉक्टर के द्वारा बच्चे की तबीयत खराब
चांपा के समीप बसंतपुर निवासी नवजात के पिता जितेन्द्र साहू ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि शनिवार 17 मई को उसकी पत्नी शिवरात्रि को प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। तब उसे लेकर वे जिला अस्पताल जांजगीर पहुंचे थे। जहां जिला अस्पताल के स्टाफ ने आज छुट्टी है। प्रसव नहीं हो पाने की बात कहकर लौटा दिया।
दर्द से कराहते महिला को परिजन सिटी डिस्पेंसरी (पुराना जिला अस्पताल) लेकर परिजन पहुंचे। यहां भी इलाज करने के बजाय रेफर कर दिया गया। ऐसे में परिजन फिर चांपा के एक निजी अस्पताल गए। जहां डॉ. अतुल राठौर के द्वारा प्रसव कराया गया। परिजन के मुताबिक, डॉक्टर के द्वारा बच्चे की तबीयत खराब होने पर तत्काल रेफर कर दिया गया। परिजन फिर नवजात को लेकर जिला मुख्यालय के आयुष्मान (प्रसाद) अस्पाल लेकर पहुंचे।
जितेन्द्र के मुताबिक, यहां पहुंचने पर अस्पताल प्रबंधन के द्वारा बताया कि हर दिन के 8 से 10 हजार रुपए लगेंगे, आपका बच्चा स्वस्थ हो जाएगा। इसके बाद इलाज शुरू किया गया। वेंटिलेटर में रखकर परिजनों को दूर से दिखाया जा रहा था। पास में किसी को जाने नहीं दिया जा रहा था। जितेन्द्र ने आरोप लगाते हुए बताया कि रात में उसके बच्चे की मौत हो गई थी, इसके बावजूद वेंटिलेटर में दूसरा बच्चे को हम लोगों को दिखाया जा रहा था।
बिना फीस लिए ही शव सौंप दियाइस पर उन्होंने अंदर जाकर अपने बच्चे को देखने दबाव बनाया तब जाकर उन्हें बच्चे की मौत होने की सूचना दी गई, लापरवाही में बरती गई, इसलिए बच्चे की मौत हुई। हालांकि इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन ने सही आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताया है। निजी अस्पताल प्रबंधक के मुताबिक, प्रसव के तुरंत बाद जन्म से ही बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, बच्चे ने गर्भ में गंदा पी लिया था, गंभीर होने के कारण ही चांपा से उसे यहां भेजा गया था।
नवजात की स्थिति को देखते हुए ही शुरू से ही वेंटिलेटर पर रखा गया था और इलाज किया जा रहा था। इसकी पूरी जानकारी परिजनों को दी गई थी। रात में बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए परिजनों को बिलासपुर लेकर जाने के लिए कहा गया था। लेकिन परिजन बिलासपुर नहीं लेकर जाने के बजाए घर लेने की बात कहने लगे।
तब हमने बच्चे की हालात को देखते हुए कहा कि घर लेकर जाने के बजाए यही रखने की सलाह दी। रविवार सुबह 9 बजे के करीब नवजात की मौत हुई। जिसकी जानकारी परिजनों को तुरंत दे दी गई थी और बकाया फीस जमा कराने कहा था। जिस पर परिजनाें ने कहा कि फीस 12 बजे तक देंगे। बाद में 12 बजे बाद हनमें खुद परिजन को गेट के पास से बुलाकर बिना फीस लिए ही शव सौंप दिया था।
सिटी डिस्पेंसरी में जांच के बजाय प्रसूता को कर दिया रेफर
नवजात की मौत मामले में सबसे ज्यादा जिमेदार तो सिटी डिस्पेंसरी (पुराना जिला अस्पताल) के डॉक्टर व स्टाफ है। मृतक क पिता जितेन्द्र ने बताया कि सिटी डिस्पेंसरी पहुंचने पर इलाज शुरू किया गया। बच्चादानी खुल गया था। बच्चे का सिर दिखाई भी दे रहा था। इसके बाद भी पूरा प्रसव व ऑपरेशन करने के बजाय रेफर कर दिया गया। इसलिए लेट हो जाने से बच्चा पानी पी गया और तबियत ज्यादा खराब हो गई। अगर यही सरकारी अस्पताल में प्रसव हो जाता तो आज बच्चा स्वस्थ रहता।
मंगलवार दोपहर शव परिजनों को मिला। इसके बाद पिता नवजात के शव को गोद में लेकर न्याय की गुहार लगाई, इसका एक वीडियो बनाया। इसके बाद घर में जाकर कफन-दफन कर दिया गया। दूसरे दिन कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई गई। फिर दूसरे दिन शिकायत के बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस एक दिन पूर्व दफन किए गए शव को पोस्टमार्टम के लिए बाहर निकाला गया और फिर जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। शिकायत के पर जांजगीर एसडीएम रविवार को डॉ. प्रसाद के अस्पताल भी पहुंचे थे और डॉक्टर, स्टॉफ का बयान लिया गया है।
डॉ. आरके प्रसाद, शिशु रोग विशेषज्ञ, आयुष्मान अस्पताल संचालक: आरोप पूरी तरह से निराधार है। गंभीर स्थिति में ही नवजात को लेकर परिजन पहुंचे थे। बच्चा रो नहीं रहा था, साथ ही पानी पी चुका था। रात में ही परिजनों को बच्चे को बाहर ले जाने की बात भी कही थी पर बिलासपुर ले जाने में असमर्थता जताने पर यही रखकर इलाज किया जा रहा था। सुबह बच्चे की मौत हुई थी। शव को बिना पैसा लिए परिजनों को सौंपा गया है।
प्रवीण द्विवेदी, थाना प्रभारी जांजगीर: परिजनों की शिकायत पर दफन किए शव को बाहर निकाला गया। इसके बाद पीएम कराया गया। मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।