गरियाबंद। सर्व आदिवासी समाज शासन प्रशासन की कार्यशीली से नाराज है और आज समाज ने प्रदेश स्तर पर आर्थिक नाकेबंदी कर अपनी नाराजगी प्रकट करने का फैसला लिया है। गरियाबंद जिले में भी सामाज के लोग इसको लेकर सड़क पर उतर आए है। समाज ने अपने जिला पदाधिकारियों और वरिष्ठजनों की अगुवाई में गरियाबंद आदिवासी विकास परिषद मजरकट्टा के सामने हाइवे पर आर्थिक नाकेबंदी करने का फैसला लिया गया है। समाज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचकर धरने में शामिल हुए समाजिक पदाधिकारियों ने बताया कि इस दौरान केवल मालवाहक वाहनों को ही रोका गया, सरकारी, निजी या यात्री वाहनों की आवाजाही पर कोई रोक नही लगाई गई। समाज प्रमुखों के मुताबिक शासन प्रशासन की समाज के प्रति अनदेखी, दुर्व्यवहार और संवादहीनता से क्षुब्ध होकर उन्हें ऐसे कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
जिलाध्यक्ष भरत दीवान, उमेंदी कोमारा, लोकेश्वरी नेताम, नरेंद्र कुमार ध्रुव ने बताया है कि छग सर्व आदिवासी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आवाज उठा रहा है मगर जिम्मेदार लगातार अनदेखी कर रहे है। अब समाज ने प्रदेशाध्यक्ष सोहन पोटाई के निर्देशन में अपनी आवाज बुलंद करने का फैसला लिया है।
लंबित मांगो के बारे में उन्होंने बताया कि पेशा कानून लागू करने, खनिज खनन से पहले पट्टे धारक आदिवासी परिवारो को शेयर होल्डर बनाने, सिलेगर मामले में कड़ी कार्यवाही करने, पदोन्नति में आरक्षण की बहाली, बैकलॉग पदों पर सीधी भर्ती, फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने, आदिवासियों के नाम पर हो रहे फर्जी जमीन जायजाद की खरीद बिक्री रोकने, 18 जनजातियों के मात्रात्रुटि को हटा जाति प्रमाण बनाने जल्द से जल्द आदेश जारी करने, प्रदेश एवं स्थानीय क्षेत्रो में आदिवासियों पर हुए अथवा हो रहे शोषण-अत्याचार के समस्त लंबित मामलों पर जल्द से जल्द कार्यवाही करने जैसी मांगो को लेकर आज सर्व आदिवासी समाज द्वारा प्रदेश स्तर पर आर्थिक नाकेबंदी कर अपना विरोध प्रकट किया गया।