रायपुर। कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई, उनमें से कई ऐसे बदनसीब रहे, जिन्हें मौत के बाद लवारिश छोड़ दिया। आज भी सैंकड़ों लोग ऐसे हैं, जिनके सामान और अस्थी कलश मौत के महीनों गुजर जाने के बाद आज भी अपनो की बाट जोह रहे हैं। रायपुर के अलग-अलग श्मशान घाट में करीब 300 के करीब लोगों की अस्थियां संजोकर रखी गयी है, कि कभी तो कोई अपनों को ढूंढते हुए आयेगा और उन्हें नदी में प्रवाहित कर मोक्ष दिलायेगा…लेकिन अब हालात ऐसे हो रहे हैं कि प्रशासन को ही अपने स्तर पर अस्थियों का विसर्जन करना होगा।
हालांकि कांग्रेस नेता बिनोद तिवारी ने जिला प्रशासन को आवेदन देकर अस्थियों के विसर्जन खुद से करने की पहल की है। बिनोद तिवारी ने कलेक्टर सौरभ कुमार को आवेदन देकर कहा था कि अगर प्रशासन उन्हें इजाजत देता है तो वो रीति-रिवाजों से सभी अस्थियों का विसर्जन कर देंगे। जिला प्रशासन ने इस बाबत एक नोटिस जारी कर रहा है, ताकि कोई परिजन अपनों के शव का अस्थि विसर्जन खुद से करना चाहें तो वो अस्थियों को ले जा सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो 26 जून को महादेव घाट में अस्थियों का विसर्जन कर दिया जायेगा।
रायपुर के ही अगर श्मशान घाट की बात करें तो अब तक करीब 300 से ज्यादा अस्थियों को सिर्फ मरवाडी श्मशान घाट में ही दफनाया जा चुका है, क्योंकि उनके अस्थियों को लेने कोई नहीं आया था। उसी तरह से अन्य शमशान घाटों की भी स्थिति है। सिर्फ अस्थियां ही नहीं बच्चों ने अपने मां-बाप और परिवार को इस कदर पराया कर दिया कि मृतकों के सामान तक लेने कोई नहीं आया। आज भी आंबेडकर और एम्स में कई ऐसे मृतक हैं, जिनका सामान पड़ा रह गया, लेकिन उन्हें लेने कोई नहीं आया।