आंखों की कमी नहीं हुई हावी : आज 35 विद्यार्थी संभाल रहे सरकारी और निजी संस्थानों में कामकाज

Chhattisgarh Crimes

कोरिया। मानव शरीर में आंखों के बिना नेत्रहीन विद्यालय मनेन्द्रगढ़ से ब्रेल लिपि में पढ़ाई कर निकले करीब 35 विद्यार्थी अलग-अलग शासकीय और अशासकीय सेवा में काम करते हुए अपनी मिशाल पेश कर रहे हैं। प्रदेश के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ में करीब तीन दशक से नेत्रहीन और विकलांग शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान आमाखेरवा मनेन्द्रगढ़ में संचालित है। यहां से हर साल कई विद्यार्थी पढ़ाई कर निकलते हैं। यह विद्यालय सरगुजा संभाग का पहला और सबसे बड़ा नेत्रहीन विद्यालय हैं, जहां संभाग ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के कई जिलों से नेत्रहीन विद्यार्थी पढ़ाई करने आते हैं। इस विद्यालय में विद्यार्थियों को ब्रेललिपि से शिक्षा दी जाती है।

पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियां भी कराई जाती है और नैतिक शिक्षा भी दी जाती है। जानकारी के अनुसार मनेन्द्रगढ़ स्थित नेत्रहीन और विकलांग शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना वर्ष 1996 में की गई थी। इसके बाद से हर साल यहां नेत्रहीन बच्चे पढ़ाई करने के लिए पहुंच रहे हैं। सरगुजा संभाग ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कई जगहों से बच्चे यहां पर पढ़ाई करने पहुंचते हैं। वर्तमान सत्र में यहां कुल 80 विद्यार्थी दर्ज हैं जो विभिन्न जगहों से आए हुए हैं।

35 से अधिक विद्यार्थी शासकीय और अशासकीय सेवा में शामिल

नेत्रहीन विद्यालय मनेन्द्रगढ़ से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 35 से अधिक संख्या में विद्यार्थी सरकारी और निजी सेवा में कार्यरत हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो अपना स्वयं का कार्य कर रहे हैं। विद्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेत्रहीन विद्यालय मनेन्द्रगढ़ से पढ़ाई करने के बाद एक विद्यार्थी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के निकट हरदा स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा में प्रोबेशनरी आफिसर के रूप में कार्यरत है। इसी तरह एक विद्यार्थी छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ स्थित कॉलेज में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत है। एक छात्र कुछ माह पूर्व भारतीय सेना के एक विभाग में कार्यालय सहायक के रूप में चयनित हुआ है जो तंदूरी जिला कांगडा हिमाचल प्रदेश में पदस्थ हैं, जो बैकुंठपुर क्षेत्र का ग्रामीण किसान का बेटा है। इसके अलावा नेत्रहीन विद्यालय मनेन्द्रगढ़ से पढ़ाई करने के बाद तीन विद्यार्थी उसी विद्यालय में कार्यरत हैं। इनमें एक संगीत शिक्षक के पद पर और दो केयर टेकर के रूप में कार्यरत हैं। वहीं यहां का एक विद्यार्थी नवोदय विद्यालय बैकुंठपुर केनापरा में व्याख्याता के पद पर कार्यरत था, जिसका स्थानांतरण दूसरे जगह पर हो गया। इसके अलावा कई अन्य विद्यार्थी जो विभिन्न शासकीय सेवा के अलावा निजी सेवा और अपने स्वयं के काम पर लग कर अपना जीवन बेहतर ढंग से गुजर कर रहे हैं।

नेत्रहीन विद्यालय का संचालन नेत्रहीन प्राचार्य के जिम्मे

मनेन्द्रगढ़ स्थित नेत्रहीन विद्यालय में वर्तमान शिक्षा सत्र में 15 का सेट अप है। इनमें से 8 टीचिंग स्टाफ है और शेष नान टीचिंग स्टाफ है। ये सभी विद्यालय में पढ़ाई करने वाले नेत्रहीन विद्यार्थियों का बेहतर तरीके से भविष्य संवारने में लगे हैं। खास बात तो यह है कि, नेत्रहीन विद्यालय मनेन्द्रगढ़ के प्राचार्य संतोष कुमार चरोकड़ भी स्वयं नेत्रहीन हैं, इनके मार्गदर्शन में विद्यालय का प्रबंधन बेहतर ढंग से चल रहा है और पढ़ाई भी बेहतर तरीके से संचालित हो रही है।

प्रत्येक सप्ताह सुंदरकांड का पाठ

नेत्रहीन विद्यालय मनेन्द्रगढ़ के विद्यार्थियों को सिर्फ किताबी शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि अन्य तरह की गतिविधियों से मनोरंजन भी कराया जाता है। इसके अलावा जीवन के हर पहलू को समझने की क्षमता विकसित करने की दिशा में भी प्रयास किया जाता है। यहां के विद्यार्थी प्रत्येक सप्ताह रामायण के सुंदरकांड का पाठ भी करते हैं, साथ ही कई तरह के खेल आयोजन और संगीत की शिक्षा भी प्रदान की जाती है।

एक विद्यार्थी जो पैर से लिखता है और भोजन भी करता है

यहां एक विशेष आवश्यकता वाला विद्यार्थी भी है, इसके लिए विद्यालय प्रबंधन के द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है। एमसीबी जिले के ग्राम कुंवारपुर जनकपुर वनांचल क्षेत्र का एक विद्यार्थी परमेश्वर सिंह है, जिसके पढ़ने और भोजन के लिए विशेष टेबल की व्यवस्था की गई है। खास आवश्यकता वाले विद्यार्थी में खास बात यह है कि वह अपने पैर से ही ब्रेल लिपि से सीख कर आज कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में पढ़ाई कर रहा है। यह विद्यार्थी भोजन भी पैर से ही करता है। सुनने में आश्चर्य जरूर लगता है, लेकिन यह सच है।

Exit mobile version