शिखा दास/छत्तीसगढ़ क्राइम्स
पिथौरा। समीप के अर्जुनी वन परिक्षेत्र में सांभर शिकार के एक मामले में वन विभाग ने चार आरोपियों को पकड़ कर रिमांड पर जेल भेज दिया है।उक्त कार्यवाही वन मंडलाधिकारी बलौदा बाजार केआर बढ़ई.के आदेशानुसार एवं उपवन मंडलाधिकारी कसडोल बिनोद सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन एवम वन परिक्षेत्र अधिकारी संतोष चौहान के निर्देशानुसार सोमवार को की गई।ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ क्राइम्स लगातार देबपुर वन परिक्षेत्र में शिकार के बाद भी आरोपियों को नही पकड़ने की खबर प्रकाशित करता रहा है।अब अर्जुनी परिक्षेत्र में शिकारियों के पकड़े जाने से उक्त खबर की पुष्टि भी हो गयी।
मिली जानकारी के अनुसार अर्जुनी वन परिक्षेत्र के महराजी सर्कल के वन स्टाफ द्वारा लगातार गस्त की जा रही है।सोमवार को वन परिसर दक्षिण महराजी कक्ष क्र.360 महराजी से अर्जुनी मार्ग कुरूपाठ के पास मादा सांभर (गर्भवती) को कुत्तों से आखेट कर कुल्हाड़ी से सिर को मारकर शिकार किया गया दिखाई दिया।जिसे देखने पर सांभर के सिर पर कुल्हाड़ी के चिन्ह चोट दिखी।
घटना की जानकारी एसडीओ विनोद सिंह ठाकुर एकम रेंजर सन्तोष चौहानं को दी गयी।घटना की गम्भीरता को देखते हुए दोनों अधिकारी अपने स्टाफ के साथ आसपास पेड़ो की ओट में छिप कर मृत सम्हर को लेने आने वाले शिकारियों की प्रतीक्षा करने लगे।कोई 1 घण्टे बाद दो ग्रामीण मृत सांभर को लेने पहुचे ही थे कि वन कर्मियों ने उन्हें घेर कर पकड़ लिया।इसके बाद पूछताछ में उन्होंने शिकार करने की बात स्वीकार करते हुए अपने दो अन्य साथियों का नाम भी बता दिया।जिन्हें बगैर देर किए वन कर्मियों ने छापेमारी के दबोच लिया।आरोपियों के नाम बंगलापली निवासी गनेश वल्द पिंगल मांझी 26 वर्ष. दबेल वल्द मंगलू मांझी 56 वर्ष , फुलसिंग वल्द महादेव मांझी 28 वर्ष एवम कमलेश वल्द चंदेल मांझी बताया गया है।
आरोपियों के पास से कुल्हाड़ी, थैला , मोटर साइकिल एचएफ डीलक्स CG 13 AK 2131 को जप्त कर महराजी मुख्यालय लाया गया तथा वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाही कर समस्त अभियुक्तों को न्यायलय में प्रस्तुत किया गया। जिसमे विभाग के स.प .महराजी ,बसंत खांडेकर तृप्ति कुमार जायसवाल परिसर रक्षी महकोनी ,राजेस्वर वर्मा परिसर रक्षी उत्तर महराजी ,रविंद्र कुमार पांडे परिसर रक्षी दलदली ,चंद्रभुवन मनहरे परिसर रक्षी गिरौद ,नरोत्तम पैकरा परिसर रक्षी दक्षिड़ महराजी ,सुनीता पैकरा परिसर रक्षी पूर्व महराजी एवं सुरक्षा श्रमिकों का योगदान रहा।
सूत्र बताते है कि जिस तरह अर्जुनी वन परिक्षेत्र में शिकार के मामले पकड़े जाते है।यदि देबपुर में भी किसी पूर्णकालिक रेंजर प्रभार में होता तो आसानी से शिकार के अनेक मामले पकड़े जा सकते है परन्तु वर्तमान में डिप्टी रेंजर के प्रभार में रहने से शिकारियों की पौ बारह हो गयी है।