जालंधर। केंद्र सरकार बिना चुनाव जीते ही आधे पंजाब पर राज करना चाहती है, यह चर्चा इसलिए है क्योंकि सीमा सुरक्षा बल (BSF) का अधिकार क्षेत्र बॉर्डर से 50 KM तक बढ़ा दिया गया है। पंजाब के लिहाज से ये बात सिर्फ सियासी चर्चा भर नहीं है, क्योंकि भौगोलिक आंकड़े भी इसे सही ठहराते हैं। सीधे तौर पर पाकिस्तान बॉर्डर से सटे 7 जिले केंद्र के कंट्रोल में आ गए। वहीं, पंजाब विधानसभा चुनाव की घोषणा से 3 महीने पहले नशे का सबसे बड़ा मुद्दा अब केंद्र की मुट्ठी में है। पंजाब के सियासी पहलू के लिहाज से यह अपमानित होकर कुर्सी छोड़ने को मजबूर हुए कैप्टन अमरिंदर की बड़ी जीत है। केंद्र के फैसले से पंजाब की नई चरणजीत चन्नी की सरकार कमजोर हुई है।
पाक से सटा 600 KM बॉर्डर, 25 हजार स्क्वायर किमी एरिया देखेगी BSF
भौगोलिक आंकड़े देखें तो पंजाब का कुल लैंड एरिया 50,362 स्क्वायर किलोमीटर है। पंजाब का 600 KM एरिया पाकिस्तान से सटा है। अगर इसके 50 KM दायरे को देखें तो करीब 25 हजार वर्ग किमी एरिया अब BSF के कंट्रोल में है। जिसमें पंजाब के 7 बड़े जिले अमृतसर, गुरदासपुर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का, पठानकोट आ रहे हैं। वहीं, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, कपूरथला और जालंधर का कुछ हिस्सा इस दायरे में आ जाएगा। इनके शहर से लेकर गांवों तक पर अब BSF का कंट्रोल होगा।
अहम इसलिए, BSF को पुलिस जैसे अधिकार
पंजाब में BSF अभी तक पाकिस्तान से सटे बॉर्डर तक सीमित थी। एक्सपर्ट बताते हैं कि अब 50KM के भीतर BSF को पुलिस जैसे अधिकार मिल गए हैं। BSF यहां कहीं भी रेड या सर्च कर सकती है। किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है। कुछ भी बरामद कर अपने साथ ला सकती है। इसके लिए मजिस्ट्रेट से किसी तरह के वारंट की जरूरत नहीं रहेगी। अभी तक कोई इनपुट मिलता था तो BSF उसे पंजाब पुलिस से साझा करती थी। अब ऐसा नहीं होगा, BSF को NDPS एक्ट, पासपोर्ट एक्ट और कस्टम्स एक्ट में यह छूट मिल गई है कि वो सीधे कार्रवाई करें।
ग्रामीणों और लोकल पुलिस से टकराव संभव
पंजाब पुलिस के एक अफसर बताते हैं कि BSF को पंजाब पुलिस जैसे अधिकार मिले, लेकिन इसके आगे खतरे भी हैं। अभी तक BSF पुलिस की मदद से कहीं कार्रवाई करती और फिर बॉर्डर पर लौट जाती थी। अब BSF उसी एरिया में राज्य की पुलिस की तरह अलग से कार्रवाई करेगी। नए अधिकार के बाद उन्हें लोकल पुलिस के साथ की जरूरत नहीं है। ऐसे में कार्रवाई को लेकर उनका ग्रामीणों और लोकल पुलिस से टकराव हाे सकता है।
कांग्रेस को सियासी पटखनी
पंजाब में 2 ऐसे चुनावी मुद्दे हैं, जाे भावनात्मक तौर पर पंजाबियों से जुड़े हैं। इनमें पहला श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और उससे जुड़े गोलीकांड और दूसरा नशा। बेअदबी और गोलीकांड के मामले में पंजाब सरकार कुछ हद तक दोषियों को पकड़ने में कामयाब रही। नशा ऐसा मुद्दा है, जिसने पंजाब में कई बच्चे अनाथ बना दिए तो कहीं पिता को जवान बेटे की अर्थी को कंधा देना पड़ा। नशे पर कार्रवाई तो हुई, लेकिन पंजाब सरकार किसी बड़े मगरमच्छ को नहीं पकड़ सकी। पंजाब सरकार की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में सीलबंद पड़ी है। पंजाब में ज्यादातर नशा सीमा पार, यानी पाकिस्तान से आता है। ऐसे में अगर BSF ने नशे को लेकर बड़ी कार्रवाई की तो निस्संदेह केंद्र के प्रति पंजाब में लोगों का नजरिया बदलेगा। यह दांव कांग्रेस के लिए पंजाब में बड़ी सियासी पटखनी साबित होना तय है।