छत्तीसगढ़ के कवियों, साहित्यकारों और नेताओं ने भी श्रद्धांजलि दी
जगदलपुर। बस्तर के मूर्धन्य साहित्यकार व लोक अध्येता हरिहर वैष्णव का बीती रात 2:45 बजे जगदलपुर में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे 66 वर्ष के थे। उनके जाने से बस्तर की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का एक दौर पीछे छूट गया है। छत्तीसगढ़ के कला प्रेमियों और साहित्यकारों में उनके निधन से शोक व्याप्त है।
कोंडागांव निवासी हरिहर वैष्णव मूल रूप से कथाकार और कवि थे, जिनका पूरा लेखन और शोध बस्तर पर केंद्रित रहा। लोक साहित्य जो प्रायः वाचिक परंपरा में संरक्षित रहता है उसे उन्होंने लिपिबद्ध करने का दुरूह कार्य किया। बस्तर की समृद्ध लोक परंपराओं तथा हल्बी और भतरी भाषा के लोक साहित्य को उन्होंने विस्तार से लिपिबद्ध किया। लोक कथाओं को उन्होंने हिंदी और दूसरी भाषाओं में लाकर बचाया। लक्ष्मी जगार, तीजा जगार, आठे जगार और बाली जगार जैसे महाकाव्य को न केवल उन्होंने सहेजा बल्कि इनके कलाकारों को भी बचा कर रखा।
साहित्यकार पीयूष कुमार बताते हैं कि उनका विपुल लेखन और शोध 29 पुस्तकों में उपलब्ध हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में मोहभंग (कहानी-संग्रह), लछमी जगार (बस्तर का लोक महाकाव्य), बस्तर का लोक साहित्य (लोक साहित्य), चलो, चलें बस्तर (बाल साहित्य), बस्तर के तीज-त्यौहार (बाल साहित्य), राजा और बेल कन्या (लोक साहित्य), बस्तर की गीति कथाएं (लोक साहित्य), धनकुल (बस्तर का लोक महाकाव्य), बस्तर के धनकुल गीत (शोध विनिबन्ध), बाली जगार, आठे जगार, तीजा जगार, बस्तर की लोक कथाएं, बस्तर की आदिवासी एवं लोक कलाएं (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से), सुमिन बाई बिसेन द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ी लोक-गाथा धनकुल (छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी, रायपुर से) शामिल हैं। वैष्णव ने बस्तर केंद्रित विभिन्न पत्रिकाओं का संपादन भी किया है जिनमें बस्तर की मौखिक कथाएँ (लाला जगदलपुरी के साथ), घूमर (हल्बी साहित्य पत्रिका), प्रस्तुति और ककसाड़ (लघु पत्रिका) शामिल हैं।
रंगकर्म और लोक संगीत में भी दखल रखनेवाले हरिहर वैष्णव सांस्कृतिक दूत भी रहे हैं। वे इस सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया, इटली और स्विट्जरलैंड की यात्राएं कर चुके हैं। उन्होंने स्कॉटलैंड की एनीमेशन संस्था ‘वेस्ट हाईलैंड एनीमेशन’ के साथ हल्बी के पहले एनिमेशन फिल्मों का निर्माण भी किया था। अनेक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त करने वाले हरिहर वैष्णव अपने अंतिम समय तक बस्तर केंद्रित किताबों पर काम करते रहे थे।
मरकाम, कौशिक ने दी श्रद्धांजलि
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व कोंडागांव के विधायक मोहन मरकाम ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि हरिहर वैष्णव का लोक साहित्य के सृजन में अनुकरणीय कार्य रहा है। उनके निधन का समाचार दुखद है। कमल चंद्र भंजदेव ने कहा कि लोककर्मी व वरिष्ठ लेखक का निधन बस्तर सहित पूरे प्रदेश के लिये अपूरणीय क्षति है। बस्तर के लोक संगीत साधक राकेश तिवारी, कवियित्री शकुंतला तरार सहित अनेक लेखकों, पत्रकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।