कोरोना काल में नहीं था बढ़ई के पास काम, बनाई लकड़ी की साइकिल और छा गए

Chhattisgarh Crimes

जलंधर। रोजगार की खातिर युवा सड़कों पर हैं। जीडीपी की हालत माइन्स में चल रही है। बाजार में भी बहार नहीं है। कोविड 19 के मामलों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना के मामलों में भारत दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। पहले नंबर पर अमेरिका है। हालांकि, भारतीयों ने अब आपदा में अवसर तलाशना सीख लिया है। क्योंकि परिवार का पेट तो पालना है ना! पंजाब के जिरकपुर में रहने वाले 40 वर्षीय बढ़ई (कारपेंटर) धनीराम सग्गू इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने अपनी क्रिएटिविटी से ऐसी साइकिल बनाई जो लोगों को खूब पसंद आ रही है।

इसलिए बना डाली लकड़ी की साइकिल

द बेटर इंडिया के मुताबिक, लॉकडाउन में जब काम धंधा ठप्प हो गया तो धनीराम ने अपने हुनर का इस्तेमाल कर पर्यावरण संरक्षण के लिए लकड़ी से साइकिल बनाई। यह काम उन्होंने घर में पड़ी लकड़ियों और प्लाइवुड की मदद से किया, जिसे देखकर लोग हैरान हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में वक्त बहुत था पर काम नहीं। ऐसे में उन्होंने लकड़ी की साइकिल बनाने का ख्वाब रचा, जिसका एक कारण ये भी था कि उनके पास सिर्फ लकड़ी और प्लाइवुड जैसी चीजें और पुरानी साइकिल का सामान था।

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अपनी पुरानी साइकिल से निकाला सामान

बढ़ई धनीराम ने साइकिल के मैकेनिज्म को देखा और उसकी इंजीनियरिंग को बारीकी से समझा। फिर उन्होंने एक ब्लूप्रिंट डिजाइन बनाया और काम शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी पुरानी साइकिल के पैडल, रिम, सीट और साइड स्टैंड का भी इस्तेमाल किया। पहला डिजाइन तैयार करने में उन्हें करीब एक महीना लगा। दूसरे प्रयास में उन्होंने कैनेडियन वुड का इस्तेमाल किया जो काफी हल्की, सस्ती और टिकाऊ होती है।

इतने रुपये में बिक रही है यह साइकिल

साइकिल का वजन 20 से 22 किलोग्राम है। वो इसे और हल्का बनाने में जुटे हैं। इसमें डिस्क ब्रेक भी लगे हैं। उन्होंने साइकिल के अगले मॉडल में गियर लगाने का फैसला किया है। बता दें, एक निजी कंपनी इस साइकिल को 15 हजार रुपये में बेच रही है, जिससे आप एक दिन में 25-30 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं। और हां, ये साइकिल जालंधर, दिल्ली के अलावा दक्षिण अफ्रीका और कनाडा तक बेची जा रही है। धनीराम, अब तक ऐसी 8 साइकिलें बेच चुके हैं और फिलहाल 5 पर काम कर रहे हैं।