अंबिकापुर। कचरा प्रबंधन से अंबिकापुर की स्वच्छता दीदी महिलाओं को आर्थिक आय का जरिया मिल चुका है। कचरा बेचकर 12 लाख महीना आमदनी का लक्ष्य पहुंचाने की योजना नगर निगम के साथ स्वच्छता दीदियों ने बनाई और उसे प्राप्त कर लिया है। कुछ माह पूर्व तक नौ से 10 लाख महीना कचरा बेचकर आमदनी हो रही थी। कचरे की गुणवत्ता को बेहतर बनाकर उसकी कीमत भी बढ़ाई गई है।
कचरा प्रबंधन कार्य में 475 महिलाएं लगी हैं जो घर-घर कचरा संग्रहण करती हैं। सूखा और गीला कचरा अलग-अलग रखती हैं। कचरा प्रबंधन केंद्र में इसकी छंटाई भी प्रतिदिन होती है। सूखा कचरा जिसे ठोस अपशिष्ट कहा जाता है, इसमें कई तरह के कबाड़ शामिल होते हैं, जिसकी सफाई कर उसे बेहतर बना सहेज कर रखा जाता है और कबाड़ के रूप में बिक्री किया जाता है।
कंपोस्ट से अच्छी कमाई
गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाया जाता है। इससे हर माह अच्छी आमदनी हो रही है। हर माह मानदेय लिए इन महिलाओं को शासन या नगर निगम की ओर मुंह ताकना नहीं पड़ता। घर-घर कचरा संग्रहण के साथ भिट्ठीकला में लगे कई प्रोसेसिंग यूनिटों से गीले कचरे का कंपोस्ट तैयार कर सीधे लाभ कमाया जा रहा है।
बेशकीमती कचरा
अंबिकापुर शहर में एक-एक कचरा बेशकीमती है। यहां की महिलाओं ने कचरे की कीमत को समझा है, यही कारण है कि अंबिकापुर का कचरा इन महिलाओं के लिए कचरा,कचरा नहीं बल्कि सोने की तरह है। इसी में इनकी मासिक आय निर्भर है जिससे परिवार का जीविकोपार्जन चल रहा है।
ऐसे बढ़ाई मासिक आमदनी
नगर निगम अंबिकापुर में काम कर रही स्वच्छता दीदियों द्वारा प्रतिदिन सूखे कचरे का पृथक्करण कर रिसाइक्लिंग हेतु विभिन्न वेंडर को विक्रय किया जा रहा है। यह बिक्री वर्ष 2015 में महज 25 हजार रुपये प्रतिमाह थी जो वर्ष 2022 तक नौ से 10 लाख प्रतिमाह थी। इस वर्ष 2024 तक कचरे के विक्रय से आय 12 लाख प्रतिमाह तक हो चुका है।
रिसाइक्लिंग भी
वर्तमान में अच्छी आय का प्रमुख कारण निगम द्वारा स्थापित मशीन ट्रोमेल स्क्रीन, ब्लोअर मशीन है, जिससे कचरे से अच्छी गुणवत्ता की रिसाइकल सामग्री निकल पाता है। इसके विक्रय से आय में वृद्धि हुई है। नगर निगम द्वारा देश के विभिन्न राज्यों से रिसाइकल सामग्री के विक्रय की दर के आधार पर वेंडर की दर में परिवर्तन करते रहते हैं।
सालाना सवा करोड़ की आय
अंबिकापुर शहर में कचरा प्रबंधन से सालाना सवा करोड़ का आय महिलाएं अर्जित करतीं हैं। इसमें 70 फीसद आय सूखे कचरे से है।कबाड़ के रूप में सूखे कचरे को बेचा जाता है। दूसरे प्रांतों में यहां का सूखा कचरा रिसायकल के लिए जाता है, जहां इस कचरे का दाम भी अच्छा मिलने लगा है। बयान-नगर निगम सूखे और गीले कचरे का बेहतर निपटान कर रहा है।
यह पूरा सिस्टम महिलाओं की जिम्मे में है।कचरा प्रबंधन में महिलाएं पूरे मनोयोग से लगी हैं यही कारण है की मासिक आमदनी 12 लाख तक पहुंच गई है।नगर निगम की ओर से भी इन महिलाओं को सशक्त करने की पहल की जा रही है। कभी इनका मानदेय काफी कम था जो अब बढ़कर 10 हजार पार हो चुका है।
डॉ. अजय तिर्की, महापौर, अंबिकापुर