रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि स्वामी आत्मानंद ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भावधारा और स्वामी विवेकानंद की विचार धारा को कार्य रूप में परिणित किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्वामी आत्मानंद के पद चिन्हों पर चलते हुए किसानों, वनवासियों, गरीबों और मजदूरों के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के हर संभव प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कोलकत्ता के बाद सर्वाधिक समय रायपुर में व्यतीत किए। रायपुर प्रवास के दौरान वे जिस भवन में रहे, उस भवन में स्वामी विवेकानंद की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्मारक बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल अपने निवास कार्यालय से विवेकानंद विद्यापीठ रायपुर द्वारा आयोजित स्वामी आत्मानंद स्मृति राष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित कर रहे थे।
पीड़ित मानवता की सेवा का दिया था संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी आत्मानंद ने यह संदेश दिया था कि पीड़ित मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। इसलिए उन्होंने मठ और आश्रम स्थापित करने के लिए एकत्र की गई राशि अकाल पीड़ितों की सेवा में खर्च करने का कदम उठाया था। एकत्र राशि उन्होंने अकाल पीड़ित गरीबों को राहत पहुंचाने में खर्च कर दिए। उन्होंने अमेरी में कुंआ, अचानकपुर में तालाब निर्माण जैसे जनहित के कार्य किए। उन्होंने अकाल के समय गर्भवती माताओं के लिए पौष्टिक भोजन की शुरूआत की जिससे की बच्चे कुपोषित न हो। दूसरी बार आश्रम बनाने के लिए एकत्र राशि भी 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को बस्तर अंचल में पाखांजूर, रायपुर के माना और धरमजयगढ़ कैम्प में बसाने के लिए खर्च कर दी।
आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए की थी आश्रम की स्थापना
स्वामी आत्मानंद ने नारायणपुर के अबूझमाड़ में आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए आश्रम की स्थापना की। वेबिनार में स्वामी निखिलेश्वरानंद अध्यक्ष श्रीरामकृष्ण आश्रम राजकोट, स्वामी शुद्धीदानन्द अध्यक्ष रामकृष्ण आश्रम मायावती, डॉ. विक्रम सिंह कुलाधिपति नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, डॉ. ओमप्रकाश वर्मा सचिव विवेकानंद विद्यापीठ कोटा तथा श्रीमती विजयलक्ष्मी वर्मा, श्रीमती मनीषा चंद्रवंशी ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग और प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी उपस्थित थे।