बेंगलुरु। चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग के दसवें दिन ISRO ने शनिवार को आदित्य L1 मिशन लॉन्च किया। यह मिशन सूर्य की स्टडी करेगा। शनिवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य L1 को लॉन्च किया गया। PSLV चार स्टेज वाला रॉकेट है।
आदित्य L1 को रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ेगा। करीब 63 मिनट 19 सेकेंड बाद स्पेसक्राफ्ट 235 x 19500 Km की ऑर्बिट में पहुंच जाएगा। आदित्य स्पेसक्राफ्ट करीब 4 महीने बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है। इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है।
आदित्य L1 चार महीने में लैंगरेंज पॉइंट (L1) पर पहुंचेगा
आदित्य स्पेसक्राफ्ट को L1 पॉइंट तक पहुंचने में करीब 125 दिन यानी 4 महीने लगेंगे। ये 125 दिन 3 जनवरी 2024 को पूरे होंगे। अगर मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया, तो नए साल में इसरो के नाम ये बड़ी उपलब्धि होगी।
लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है।
ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और एनर्जी भी कम लगती है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।