मोहाली। मोहाली टेस्ट मैच के दूसरे दिन टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा ने भारत की पहली पारी 574/8 के स्कोर पर घोषित की। उस समय जडेजा 175 रन बनाकर खेल रहे थे और वह डबल सेंचुरी के करीब थे। वे मोहम्मद शमी के साथ 9वें विकेट के लिए 94 गेंदों पर नाबाद 103 रन भी जोड़ चुके थे।
माना जा रहा था कि अगर जडेजा को 20 से 25 मिनट मिलते तो वह दोहरा शतक भी जड़ सकते थे। पारी घोषित किए जाने के बाद रोहित पर सवाल खड़े होने लगे। सोशल मीडिया पर लोग इसे 18 साल पहले राहुल द्रविड़ के सचिन तेंदुलकर को 194 रन के स्कोर पर वापस बुलाने लेने की घटना के साथ जोड़ना शुरू कर दिया। हालांकि दिन के खेल के बाद जडेजा सामने आए और पूरे विवाद पर अपना बयान देकर मामले को रफा-दफा कर दिया।
कप्तान ने भेजा था संदेश
दूसरे दिन का मैच समाप्त होने के बाद रवींद्र जडेजा ने रोहित के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि मैंने ही पारी घोषित करने के लिए संदेश भेजा था। जडेजा ने कहा,’ रोहित ने कुलदीप के जरिए मेरे 200 रन पूरा होने के बाद पारी घोषित किए जाने का संदेश भेजा था, लेकिन मैने 200 रन बनाने के सुझाव का विरोध करते हुए कहा कि अगर हम थके हुए श्रीलंकाई बल्लेबाज को चाय से पहले खिलाते हैं, तो हमें जल्द विकेट मिल सकता है।’
जडेजा ने साले को शतक किया समर्पित
जडेजा ने इस शतक को अपने साले को समर्पित किया। उन्होंने कहा,’मैं यह शतक अपने साले को समर्पित कर रहा हूं, उन्होंने कई बार मुझसे कहा कि अगर मैं अगली बार सेंचुरी बनाता हूं तो मुझे उन्हें समर्पित करना चाहिए।’
क्यों रोहित के फैसले को 2004 से जोड़ा जा रहा था
दरअसल 2004 में इंडिया पाकिस्तान के दौरे पर थी। मुल्तान में खेले गए पहले टेस्ट में टीम इंडिया की कमान राहुल द्रविड़ के पास थी, जो इस समय भारतीय टीम के कोच हैं। मैच में वीरेंद्र सहवाग के तिहरे शतक की बदौलत टीम इंडिया को अच्छी शुरुआत मिली थी। वहीं तेंदुलकर भी 194 रन बनाकर खेल रहे थे। उस मय टीम का स्कोर 161.4 ओवर में 4 विकेट के नुकसान 675 रन हो गया था। द्रविड़ ने युवराज का विकेट गिरने के साथ ही पारी घोषित करने का ऐलान कर दिया था।