दरअसल, एंटी करप्शन ब्यूरो ने मिरी को 27 अगस्त 2020 को 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। मामला जमीन नामांतरण से जुड़ा था, जिसमें मिरी ने शहर के दरबारी टोली निवासी अनोज गुप्ता से 3 लाख रुपए की मांग की थी।
डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर से रिश्वत मांगने की पुष्टि
एसीबी ने शिकायत की जांच में डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर से रिश्वत मांगने की पुष्टि की। डीएसपी गौरव मंडल के नेतृत्व में टीम ने पुराने कलेक्टर कार्यालय में तहसीलदार के दफ्तर पर छापा मारा। रिश्वत की रकम लेते समय मिरी को पकड़ा गया। उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन टीम ने उन्हें पकड़ लिया।
विशेष न्यायाधीश सत्येंद्र कुमार साहू की अदालत में एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था। अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। प्राथमिक चिकित्सा के बाद दोषी को जेल भेज दिया गया है।