पर्यटन को नई दिशा देगा महाकाल लोक, 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को करेंगे समर्पित

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उज्जैन। महाकाल लोक… शिव का अद्भुत, अकल्पनीय और अलौकिक संसार। महाकाल के आंगन के विस्तार के बाद जो भव्य और सुंदर दृश्य सामने आए, उसे हम महाकाल लोक के नाम से जानेंगे। 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे देश को समर्पित करेंगे। दिव्यता, भव्यता और आध्यात्मिकता के इस संगम ने 4 साल की मेहनत के बाद आकार लिया है। पहले फेज के बाद अब दूसरे फेज का काम होगा।

पूरे महाकाल लोक (फर्स्ट फेज) में 15 हजार टन राजस्थानी पत्थर लगाया गया है। महाकाल लोक पहले चरण में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से 4 गुना बड़ा है। दूसरे चरण का काम पूरा होने के बाद यह 9 गुना बड़ा हो जाएगा। पूरे कैंपस को घूमने और दर्शन के लिए 4 से 5 घंटे का वक्त लगेगा।

महाकाल लोक आखिर है क्या?
महाकाल के आंगन को 856 करोड़ रुपए की लागत से 2 फेज में डेवलप किया जा रहा है। इसके पूरा होने के बाद 2.8 हेक्टेयर में फैले महाकाल का पूरा एरिया 47 हेक्टेयर का हो जाएगा। 946 मीटर लंबे कॉरिडोर पर चलते हुए भक्त महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचेंगे। कॉरिडोर पर चलते हुए उन्हें बाबा महाकाल के अद्भुत रूपों के दर्शन तो होंगे ही, शिव महिमा और शिव-पार्वती विवाह की भी गाथा देखने-सुनने को मिलेगी।

महाकाल लोक के बनने के बाद यह एकमात्र ऐसा मंदिर बन गया है, जहां श्रद्धालु दर्शन के साथ शिव से जुड़ी हर कहानी जान सकते हैं। इसे बनाते समय पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखा गया है। हैदराबाद से विशेष पौधे मंगाए गए। इसके अलावा शमी, बेलपत्र, नीम, पीपल, रुद्राक्ष और वटवृक्ष भी रोपे गए हैं। विकसित एरिया महाकाल वन का हिस्सा है। यही कारण है कि इसे इसी अनुसार डिजाइन किया गया है।

उज्जैन में करीब 47 हेक्टेयर में विकसित हो रहे महाकाल लोक की कल्पना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के आने के साथ ही की गई। स्मार्ट सिटी में उज्जैन का नाम शामिल होते ही सबसे पहले 2.8 हेक्टेयर में फैले महाकाल के आंगन को सजाने के साथ ही विस्तार का सुझाव आया। महाकालेश्वर मंदिर में बढ़ती भीड़ को देखते हुए राज्य सरकार ने 5 साल पहले इसकी सैद्धांतिक सहमति दी। तब ये योजना 300 करोड़ रुपए की थी।

मंथन के बाद महाकाल परिसर के साथ रुद्रसागर तालाब को सजाने का प्लान तैयार हुआ। तय हुआ कि दो अलग-अलग फेज में विस्तार किया जाएगा। 2017 से 2018 में प्रोजेक्ट के लिए 870 करोड़ रुपए का बजट मंजूर कर DPR और टेंडर निकाला गया। इसके बाद यहां मूर्तियां, म्यूरल के साथ परिसर को सजाने का काम शुरू हुआ। इसके लिए खास तौर पर राजस्थान का बंसी पहाड़पुर पत्थर मंगवाया गया।

महाकाल लोक की कल्पना को साकार करना चुनौतियों से भरा था। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह बताते हैं- सबसे बड़ा चैलेंज 800 घरों और उनमें रहने वाले परिवारों को शिफ्ट करना था। यहां स्कूल भी थे। बच्चों की पढ़ाई का नुकसान भी नहीं होने देना था। मंथन के बाद सभी बच्चों को 2 स्कूलों में शिफ्ट किया गया। हर दिन नई चुनौती होती थी। कई सामुदायिक मुद्दे थे, उनका भी समाधान करना था। अब दूसरा चैलेंज था- रुद्रसागर की सफाई।

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