छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ते हुए ऐतिहासिक फैसला लिया

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ते हुए ऐतिहासिक फैसला लिया है। छत्तीसगढ़-तेलंगाना राज्य की सरहद पर स्थित जिस कर्रेगुटा पहाड़ी को कभी नक्सलियों की राजधानी कहा जाता था, वहीं अब सुरक्षा बलों का आधुनिक ट्रेनिंग सेंटर और वॉर फेयर स्कूल खुलेगा। राज्य सरकार ने इसके लिए 700 एकड़ जमीन का आबंटन कर दिया है। स्कूल तक पहुंचने के लिए जल्द ही पक्की सड़क का निर्माण कार्य शुरू होगा। इस कदम को नक्सलवाद के सफाए की दिशा में माइलस्टोन माना जा रहा है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने इस बात की पुष्टि की है। दशकों से था नक्सलियों का दबदबा

 

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, कर्रेगुटा की पहाड़ी पर दशकों से नक्सलियों का दबदबा रहा है। पहाड़ी की भौगोलिक स्थिति और दुर्गम इलाका हमेशा उनके लिए सुरक्षित ठिकाना बना रहा।

 

अब वहीं पर सुरक्षा बलों की ट्रेनिंग होगी, जिससे नक्सलियों के हौसले पस्त होंगे। इस फैसले से यह संदेश भी जाएगा कि बस्तर अब नक्सलियों के कब्जे का इलाका नहीं, बल्कि विकास और सुरक्षा का नया केंद्र है। राज्य वन्य जीव कल्याण बोर्ड से मिली हरी झंडी

 

राज्य वन्य जीव कल्याण बोर्ड की बैठक में इस परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है। ट्रेनिंग स्कूल तक पहुंचने के लिए 5.5 किलोमीटर पक्की सड़क भी बनाई जाएगी।

 

इससे न सिर्फ बलों की आवाजाही आसान होगी बल्कि आसपास के गांवों को भी बेहतर सड़क सुविधा मिलेगी। सरकार का कहना है कि कर्रेगुटा में ट्रेनिंग सेंटर बनने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। बीजेपी सरकार का दावा, नक्सलवाद खात्मे की ओर

 

बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने कहा, कि नक्सलवाद खात्मे की ओर है। उनका कहना है कि कांग्रेस की सरकारों ने बस्तर और नक्सल प्रभावित इलाकों पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। कर्रेगुटा में ट्रेनिंग स्कूल खुलना इस बात का प्रतीक है कि सरकार नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।सुरक्षा बलों की क्षमता होगी दोगुनी

 

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस सेंटर के बन जाने के बाद सुरक्षा बलों की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। यहां गुरिल्ला वारफेयर, जंगल में लड़ाई और आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी जाएगी।

 

कुल मिलाकर, कर्रेगुटा का यह वार फेयर स्कूल न सिर्फ सुरक्षा बलों के लिए रणनीतिक केंद्र होगा बल्कि यह साबित करेगा कि जिस जमीन को कभी नक्सलवाद की पहचान माना जाता था, अब वही छत्तीसगढ़ के शांति और विकास की नई इबारत लिखेगी।

Exit mobile version