हरदीभाठा तालाब में सत्याग्रह कर मनरेगा रोजगार अधिकारी कर्मचारियों ने जताया विरोध, लगातार हड़ताल से मनरेगा के काम ढप्प

Chhattisgarh Crimes

मैनपुर। मनरेगा कर्मचारी महासंघ ब्लॉक इकाई मैनपुर के बैनर तले 16 अप्रैल को सभी मनरेगा के अधिकारी कर्मचारी रोजगार सहायक हड़ताल स्थल से रैली निकालते हुए अपने मांगों को लेकर जोरदार नारों से अपनी मांगो को मनवाने हड़ताल के द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया। हरदीभाँठा बड़े तालाब में जल समाधि सत्याग्रह के साथ सभी कर्मचारियों द्वारा अनूठे ढंग से महिलाओं द्वारा सर में कलश एवं पुरुषो द्वारा कांवर में जल लेकर भाँटीगढ पैरी नदी उद्गम स्थल शिवलिंग में जल अर्पित करते हुए पैरी गंगा में अपनी मांगों को जल्दी पूरा करने तथा दंतेवाड़ा से रायपुर 390 कि मी दांडी यात्रा में शामिल हो रहे सभी साथियों के कुशल मंगल के लिए पूजा अर्चना किया।

छत्तीसगढ मनरेगा अनियमित कर्मचारी महासंघ लगातर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस द्वारा अपने जन घोषणा पत्र में सभी अनियमित को नियमित करने का विषय शामिल किया गया था तथा हड़ताली मंच से उनकी सरकार बनने पर 10 दिवस के भीतर नियमित करने सम्बंधी वादा किया गया था जिसे लगातर विभिन्न प्रकार से प्रर्दशन कर शासन प्रशासन को याद दिलाते हुए सभी मनरेगा कर्मचारी अधिकारी नियमितीकरण करने लगातार 12 दिन से काम बंद कलम बंद कर धरने में बैठ गए है।

यह बताना लाजमी होगा मनरेगा योजना के सभी राज्य स्तरीय , जिलास्तरीय, जनपद स्तरीय कर्मचारी अधिकारी रोजगार सहायकों के हड़ताल में बैठ जाने के कारण नए वित्तिय वर्ष में एक अप्रैल से पूरे राज्य में मजदूरों की संख्या नहीं के बराबर है।
आज केवल 91 मजदुर राज्य भर में कार्यरत है जबकि इस समय पूरे राज्य भर में लगभग 20 लाख मजदूर कार्यरत होते हैं। यह ऐसा समय है जब मजदूर किसान के पास कृषि आजीविका सम्बंधी कोई काम नहीं है। पूरे छत्तीसगढ प्रदेश में लगभग 77% कुल 1 करोड़ 96 लाख जनसंख्या ग्रामीण जनसंख्या है जिसमें से 52 लाख मजदूर परिवार मनरेगा में जॉब कार्ड धारी है जिनको प्रत्येक वर्ष 100 से 150 दिन का कार्य मनरेगा द्वारा दिया जाता है।

मनरेगा योजना का वृहद और जटिल होने के कारण प्रत्येक पंचायत में एक रोजगार सहायक, प्रत्येक जनपद में लगभग 30 अधिकारी कर्मचारी एवम् प्रत्येक जिले में 12 से 15 कर्मचारी अधिकारी कार्यरत है जिनके द्वारा मनरेगा योजना संचालित किया जाता है । वर्तमान में आयुक्त मनरेगा द्वारा सभी जिला कलेक्टरों को इन कर्मचारी अधिकारी का प्रभार पंचायत विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को सौप कर कार्य कराने पत्र के माध्यम से निर्देषित किया गया है परंतु पंचायत विभाग में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों की संख्या मनरेगा कर्मियों से कम है।इतने अधिक संख्या में कार्यरत मनरेगा कर्मियों का कार्य अन्य अधिकारी कर्मचारियों से कराना संभव नहीं लगता है।

विगत 15 दिवस से नरेगा कर्मियों का हड़ताल में चले जानें से पंचायतों में मजदूरों के लिए कार्य पूर्ण रूप से ठप पड़ गया है। ग्रामीण मजदूरों में आर्थिक संकट बढ़ता प्रतीत हो रहा है। मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यावस्था की रीड की हड्डी है यदि सरकार यथाशीघ्र इस विषय का निराकरण नहीं करती है तो जल्द ही ग्रामीण मजदूरों में वित्तीय संकट ग्रामीण बाजारों एवम् ग्रामीणों के उपभोग के मुख्य वस्तुओं से वित्तीय संकट होना प्रारंभ हो जाएगा।

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