आज 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व शुरु हो रहा है। पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना या घटस्थापना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री होने के कारण इस नाम से पुकारते हैं। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के पहले मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा व उपासना करने से मान-सम्मान में वृद्धि व उत्तम सेहत प्राप्त होती है। मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र अतिप्रिय हैं। इसलिए प्रतिपदा तिथि में मां दुर्गा को सफेद वस्त्र या सफेद पुष्प अर्पित करना अति शुभ माना गया है। इसके साथ ही सफेद बर्फी या मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
पहला दिन: शुभ मुहूर्त
घटस्थापना का मुहूर्त – सुबह 06:23 बजे से 07:32 बजे तक
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – मार्च 21, 2023 को रात 10:52 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – मार्च 22, 2023 को रात 08:20 बजे
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:49 बजे से 05:36 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:30 बजे से 03:19 बजे तक
अमृत काल – सुबह 11:07 बजे से 12:35 बजे तक
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें और मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें।
हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। मंत्र इस प्रकार है- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।
मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प और मनोकामना गुटिका मां के तस्वीर पर अर्पित करें।
इसके बाद भोग, प्रसाद, वस्त्र आदि अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें।
मां शैलपुत्री का मंत्र – ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। यह जप कम से कम 108 होना चाहिए।
मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा श्रद्धा से आरती करें।