दुर्ग। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का पार्थिव शरीर दुर्ग के पद्मनाभपुर स्थित उनके निवास में अंतिम दर्शन के लिए लगभग दो घंटे तक रखा गया था। जहां उनके परिजनों सहित शहर वासियों ने पुष्पगुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। जिसके बाद शहर के गली-मोहल्ले होते हुए शिवनाथ नदी के घाट स्थित मुक्तिधाम में उनके बड़े बेटे अरविंद वोरा ने मुखाग्नि दी। जहां उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
जहां-जहां से शव यात्रा गुजरती जा रही थी। वहां लोगों के द्वारा अपने नेता की भव्य स्वागत के इंतेजाम किए गए थे। साथ ही मोतीलाल वोरा अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा मोतीलाल का नाम रहेगा जैसे नारे लोग लगाते रहे। अंतिम संस्कार में प्रदेश सहित देश के नामी नेताओं का हुजूम लगा रहा। जिससे शहरवासी अचंभित नजर आते रहे। साथ ही आश्चर्य से विभोर भी होते रहे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्वर्गीय मोतीलाल वोरा अजातशत्रु थे। उनकी लगन, परिश्रम, निष्ठा और नेतृत्व के प्रति समर्पण अद्वितीय था। बघेल ने कहा कि एक दिन पहले ही उन्होंने वोरा को जन्म दिन की बधाई दी थी। तब सोचा भी नहीं था कि वे इतनी जल्दी हमसे विदा हो जाएंगे। दिल्ली प्रवास के समय भी उनसे मुलाकात हुई थी। वे कोरोना से लड़ाई जीतकर आ गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमने होश संभाला उन्हें काम करते देखा। उनकी सहजता, सरलता और मिलनसारता जो प्रारंभ में थी, वैसी ही अंतिम समय तक रही।
अंतिम संस्कार के दौरान मुक्मिधाम में प्रदेश के राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत, वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक, एमपी के सीएम शिवराज सिंह सहित प्रदेश कांग्रेस के सभी मंत्री व गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।