दंतेवाड़ा। शनिवार को नक्सलियों ने एक पर्चा जारी किया, इसमें नक्सलियों की तरफ से लिखा गया है कि उनके प्रमुख लीडर गणपति ने सरेंडर नहीं किया है। नक्सलियों ने इसे खुफिया एजेंसियों की चाल बताया। नक्सलियों ने गणपति को लेकर पर्चे में खुलासा किया है कि वो बीते दो सालों से नक्सलियों के बीच सक्रिय नहीं है। उसने अपनी मर्जी से किसी और को अपनी कुर्सी दे दी है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में गणपति के सरेंडर के दावे किए गए थे।
गणपति को लेकर मिले हैं इनपुट
दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि गणपति बूढ़ा और बीमार होने की वजह से सक्रीय नहीं है। उसे नक्सलियों ने किसी शहरी इलाके में रख दिया होगा। जांच एजेंसियों के पास गणपति की लगभग 40 साल पुरानी तस्वीर है। नक्सलियों ने उसे किसी भी शहरी नेटवर्क के व्यक्ति के पास रख दिया होगा। बरहाल सुरक्षा एजेंसियों की उसकी तलाश है। यदि उसका सरेंडर होता तो नक्सलियों के इंटरनेशनल लिंक, प्रदेश में हुई झीरम जैसी घटनाएं, हथियार की सप्लाय वगैरह की जानकारी मिलती।
कौन है गणपति
गणपति उन नक्सल लीडर्स में से एक है जिसकी सोच की वजह से ही आज बस्तर और देश के कई नक्सल इलाकों में नक्सली काम करते हैं। उसकी उम्र करीब 80 साल होने का अनुमान है। गणपति पर ढाई करोड़ रुपए का इनाम घोषित है। कोई नहीं जानता कि वो इस वक्त कहां है, किस हाल में है और कैसा दिखता है। माना जाता है कि गणपति अबूझमाड़ के घने जंगलों में 1992 से साल 2018 तक बेहद सक्रीय था।