दंतेवाड़ा। बस्तर में महुआ के अलावा आम भी ग्रामीणों की आजीविका का सबसे बड़ा स्रोत है और इसी स्त्रोत से ग्रामीणों की आजीविका को और सशक्त करने दंतेवाड़ा में एक बड़ी शुरुआत हुई है। यह शुरुआत है अमचूर के प्रोसेसिंग, पैकेजिंग की। यह अमचूर पाउडर डैनेक्स अमचूर के नाम पर देश के बाज़ारों में बिकेगा। नक्सल प्रभावित ज़िला दंतेवाड़ा की महिलाओं को इसके लिए ट्रेनिंग दी गई और अब ये महिलाएं इस काम में जुटी हुई हैं। ज़िले के 500 से ज़्यादा किसानों से 70 रुपए किलो में सफेद अमचूर की ख़रीदी की गई। प्रोसेसिंग के बाद प्रति 100 ग्राम अमचूर पाउडर 80 रुपये में बेचा जा रहा है।
इस तरह महिलाएं बनाती हैं अमचूर पाउडर
दंतेवाड़ा के गांवों के स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया उनके द्वारा कच्चे आम के तोड़ाई से लेकर उसकी सफाई, छिलाई व छोटे टुकड़ों में काटकर आम को सुखाया जाता है, जिसे बाद में अमचूर पाउडर में परिवर्तित किया जाता है। जिसे मार्केट में कच्चे माल के रूप में पहले बेचा जाता था।
महिलाओं ने बताया पहले पारम्परिक तरीके से लोहे के अवजार या छुरी से आम के छिलके उतरते थे। जिससे लोहे के प्रभाव में आकर आम काला पड़ जाता था। जिससे उसकी कीमत कम मिलती थी। अमचूर का रंग काला ना पड़े इसलिए स्टील के चाकु या सीप के खोल का उपयोग कर रहे हैं। महिेलाएं कच्चे माल को 70-80 रूपये प्रति किलो ग्राम की दर से डेनेक्स को विक्रय कर रही है। डैनेक्स द्वारा सफेद अमचूर के प्रोसेसिंग व पैकेजिंग करके अमचूर के दर में वैल्यु एडीशन किया जा रहा है। जिससे महिलाओं को लाभ मिल रहा है।
डैनेक्स के नाम पर ये उत्पाद
डैनेक्स दन्तेवाड़ा का अपना ब्राण्ड है और इस ब्राण्ड के अन्य उत्पाद है जिसमें नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री में तैयार कपड़े, छिंद रस से निर्मित गुड़ पैकेट, जैविक अनाज, कड़कनाथ मुर्गी और आरओ वाटर को पहचान मिल चुकी है।
इस बार आम को सुखा कर कच्चे माल के तौर पर महिलाएं नही बेचेंगी। बल्कि उसे पाउडर के रूप में प्रोसेसिंग कर बाजार में बेचा जाएगा। इससे ना सिर्फ अमचूर का वैल्यु एडिशन होगा बल्कि यह महिलाओं के आमदनी कमाने का एक और जरिया भी बनेगा।यह अमचूर डैनेक्स के नाम से बिकेगा। निश्चित तौर पर इसका अच्छा लाभ किसानों के साथ समूह की महिलाओं को भी मिलेगा। अभी डैनेक्स अमचूर अमेजॉन पर उपलब्ध है।
– दीपक सोनी , कलेक्टर दंतेवाड़ा