तौरेंगा परिक्षेत्र के बफर जोन में भेड़ बकरियों का कब्जा, कुंभकर्णी नींद में वन विभाग

Chhattisgarh Crimes

मैनपुर। पिछले कई वर्षों से दीगर प्रांत के भेड़ पालको द्वारा अवैध रूप से छत्तीसगढ़ की सीमा में चोरी- छिपे प्रवेश कर जंगलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वन विभाग के अमले के द्वारा इन भेड़ पालकों को छत्तीसगढ़ की सीमा में घुसने से रोकने का प्रयास किया गया है बावजूद इसके समस्या जस की तस बनी हुई है।
छत्तीसगढ़ की राजा पड़ाव क्षेत्र तौरेंगा परिक्षेत्र में इन दिनों भेड़ बकरी बस्तर होकर के बफर जोन उदंती वन मंडल गरियाबंद की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

गरियाबंद जिला के उड़ीसा बॉर्डर क्षेत्र में आमतौर पर देखा जा सकता है। हाल ही में तहसील मुख्यालय मैनपुर से 17 किलोमीटर दूरी गोना जंक्शन के पास बड़ी मात्रा में भेड़ बकरियां गुजर रही थी उन लोगों से पूछताछ करने पर कहा कि भेड़ बस्तर सीमा पार करके यहां तक लाया गया है कुछ ही दूर में हमारा डेरा है डेरा में मालिक लोग रहते हैं, ऐसे कहते हुए भेड़ चराने वाले पूरे जंगल की ओर भेड़ बकरी को ले गए, और वन विभाग इस ख़बर से बेखबर है या फिर जानबूझकर वन विभाग का अमला बेखबरी का चादर ओढ़ रहा है।

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब ग्रामीण जनसरोकार से जुड़ा कुछ काम करने जा रहे होते हैं तो फौरन वन विभाग का अमला पहुंच कर लोगो को चमका धमका के बफर जोन की दुहाई दे मना कर देता है तो फिर इतने बडे़ पैमाने पर दीगर प्रांत से बफर जोन में भेड़ बकरी घुसकर जंगल को बर्बाद कर रहे हैं तो इसकी भनक विभाग को नहीं होगी ऐसा हो ही नहीं सकता, क्या वन विभाग का खुफिया तंत्र (मैदानी अमला) जानकारी जुटाने में असमर्थ हो गया । तोरेंगा वन परिक्षेत्र के बफर जोन के जंगल को बचाने में सही मायने में वन विभाग की रूची है तो बफर जोन में अवैधानिक तरीके से घूसे भेड़ बकरियों के मालिकों के खिलाफ़ कठोर कार्यवाही करते हुए भेड़ बकरियों को वहा से खदेड़ने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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