खारुन नदी में स्नान कर किया पितरों को अर्पण

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। श्राद्ध पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मंगलवार को सुबह से घर – घर में और नदी तालाब में पितरों के निमित्त अर्पण तर्पण किया गया। श्रद्धालुओं ने रायपुर के खारुन नदी में स्नान करके हाथ में कुशा धारण कर जल अर्पित किया। दोपहर को ब्राम्हण भोजन करवाकर कौआ और अन्य जीवों को भोजन का ग्रास खिलाने की रस्म निभाएंगे। 21 सितम्बर मंगलवार से शुरू हुआ पितृ पक्ष 6 अक्टूबर तक चलेगा। पंडित चंद्रभूषण शुक्ला के अनुसार शास्त्रों में बताया गया है कि गृहस्थ मनुष्य को प्रतिदिन चांदी , तांबा या कांसा के पात्र द्वारा तर्पण करना चाहिए।

ये भ्रांतियां दूर करें

गया श्राद्ध करके आने के बाद कुछ लोग पितरों से पीछा छुड़ा लेते है। जबकि ऐसा नही है। गया श्राध्द करके आने के बाद भी श्राध्द तर्पण करना ही है। तर्पण नही करने वाले मनुष्य व उनके संतानों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

श्राद्ध के 96 अवसर

अधिकतर लोग पितरों के लिये केवल पितर पक्ष के 16 दिन की ही जानकारी रखते हैं और आजकल तो इन 16 तिथियों को भी मजबूरी में करते हैं। लेकिन धर्मसिन्धु, भविष्य पुराण आदि के अनुसार वर्ष में श्राद्ध के 96 अवसर बताए गये हैं। जिसमें पितरों की संतुष्टि के लिये विभिन्न पितृकर्म का विधान है। ये 96 अवसर है।

‘अमायुग्मनु क्रान्ति धृति पात महालया:।

अष्टकाऽन्वष्टका पूर्वेद्यु: श्राद्धैर्नवतिश्च षट्’।।

अर्थात् 12 माह की अमावस्याएं,

4 युगादि तिथियां,

मनुओं के आरंभ की 14 मन्वादि तिथियां,

12 संक्रांतियां,

12 वैधृति योग,

12 व्यपाति योग,

15 महालय श्राद्ध,

5 अष्टका,

5 अन्वष्टका तथा

5 पूर्वेद्यु, ये श्राद्ध के 96 अवसर हैं।

उपरोक्त समस्त अवसर में पितरो के निमित्त यथाशक्ति श्राद्ध तर्पण जरूर करना चाहिए।

भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण प्रमुख माने गए हैं। पितृ ऋण, देव ऋण तथा ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। भगवान राम ने पिता दशरथ और जटायु के लिए तथा भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस के लिए श्राध्द किया था। इसलिए सबको अपने पितरों के निमित्त जरूर करना चाहिए।