शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रौशनी में जरूर रखें खीर, मिलते हैं ये चमत्कारी लाभ

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हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान-दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। सभी पूर्णिमाओं में से शरद पूर्णिमा को सबसे खास माना गया है। मान्यता कि शरद पूर्णिमा पूरे साल में एकमात्र ऐसा दिन होता है जब चंद्रमा सभी सोलह कलाओं के सोलह कलाओं से युक्त होते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा अत्यंत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। शरद पूर्णिमा को शरद पूनम और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि यही वो दिन था जब भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग महा रास रचाया था। इसी वजह से शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा कहा जाता है।

शरद पूर्णिमा को लेकर दूसरी मान्यता ये भी है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती लोक पर भ्रमण करती हैं, इसलिए इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन आसमान के नीचे चांद की रौशनी में खीर रखने का भी विधान हैं। इस दिन रात भर खुले आसमान के नीचे खीर रखा जाता है और फिर प्रात:काल भगवान को भोग लगाकर परिवार के लोगों को बांटा जाता है। तो आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन बनाने और खाने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं।

1. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। ऐसे में जब चांद की रौशनी खीर पर पड़ती है तो वह खीर भी अमृत गुणों वाली हो जाती हैं। ऐसे में शरद पूर्णिमा की खीर को खाने से मन को शीतलता पहुंचती है और सेहत पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

2. शरद पूर्णिमा की खीर का सेवन करने से कुंडली में चंद्रमा ग्रह मजबूत होता है। वहीं अगर आप इस दिन खीर बनाकर दान करते हैं तो आपको चंद्र दोष से भी छुटकारा मिलेगा।

3. शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर माता लक्ष्मी को भोग लगाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। देवी मां को खीर का भोग लगाने के बाद ही ग्रहण करें। शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

4. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत का संचार होता है, जिससे वह अधिक पौष्टिक और दिव्य भोजन बन जाता है। इसे ग्रहण करने से सेहत अच्छी रहती है और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।

5. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। ऐसे में जो लोग रात भर जागरण कर देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाते हैं उन्हें मां लक्ष्मी का असीम आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शरद पूर्णिमा 2024 तिथि और मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 16 अक्टूबर को रात 8 बजकर 40 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 55 मिनट पर
शरद पूर्णिमा 2024 तिथि- 16 अक्टूबर
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय- 16 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 5 मिनट पर

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। )

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