पैरोल और जमानत पर छूटे प्रदेश के 9 हजार कैदियों को हाईकोर्ट ने दी कोरोना राहत

Chhattisgarh Crimes

बिलासपुर। कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिये कम अवधि की सजा पाने वाले कैदियों की जमानत और पैरोल पर रिहाई पर रखने की अवधि आज खत्म हो गई थी जिसे अब हाईकोर्ट ने 30 सितम्बर तक आगे बढ़ा दी है। इसका फायदा करीब 9 हजार आरोपियों और अपराधियों को मिलने जा रहा है।

न्याय मित्र प्रफुल्ल एन. भारत, महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा, उप महाधिवक्ता चंद्रेश श्रीवास्तव, केन्द्र सरकार के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव, अभिषेक सिन्हा की वर्चुअल उपस्थिति में आज कोरोना के चलते रिहा किये गये विचाराधीन व सजायाफ्ता बंदियों के पक्ष में सालसा की ओर से दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी. आर. रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की डबल बेंच ने सुनवाई की। मार्च 2020 में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही जेल में कोरोना संक्रमण रोकने के लिये कैदियों की संख्या को कम करने के लिये ऐसे कैदी जिनको दुष्कर्म और धोखाधड़ी के मामलों को छोड़कर सात साल की सजा सुनिश्चित थी उन्हें जमानत या फिर सजायाफ्ता होने पर पैरोल पर छोड़ने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था। प्रथम चरण में इससे करीब 2200 कैदियों को रिहा किया गया था। बाद में इनकी संख्या बढ़कर 3500 पहुंची। इसके अलावा नई सुनवाई में जिन कैदियों को जेल भेजने के बजाय जमानत दे दी गई उन्हें जोड़ने के बाद कुल 9000 के आसपास कैदी जेलों में सजा काटने से बच गये हैं। इनकी पैरोल या जमानत की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही थी। आज इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई की और लाभान्वित सभी कैदियों को 30 सितम्बर तक पैरोल, जमानत पर रहने की छूट प्रदान की गई। सालसा की ओर से अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव व अन्य ने कोर्ट से अपील करते हुए बताया कि बिलासपुर केन्द्रीय जेल में 142 कोरोना संक्रमित पाये जा चुके हैं। इनमें से तीन की मौत हो चुकी है और 43 लोगों का अब भी इलाज चल रहा है। ऐसी स्थिति प्रदेश के अन्य जेलों में भी है। कोविड-19 का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। अतएव, जिन विचाराधीन या सजायाफ्ता कैदी हैं उन्हें 31 अगस्त को वापस जेल भेजने की जगह राहत प्रदान की जाये।

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