गरियाबंद। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाना वाला प्रदेश का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल जतमई-घटारानी जो इन दिनों अपनी अलौकिक सुंदरता बिखेर रहा है, वह पिछले एक माह से कोरोना संक्रमण के चलते बंद है। यहां पर कलकल करती झरने की ध्वनी के अलावा कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है। इन दिनों पर्यटकों से भरा रहने वाला इस पर्यटन स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां व्यवसाय करने वाले छोटे व्यापारियों के सामने दुकाने लगातार बंद से रोजी-रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है।
यहां हम आपको बता दें कि 24 मार्च को पूरे देश में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन किया गया। वैसे ही प्रदेश सहित जतमई-घटारानी पर्यटन स्थल भी पूर्णत: बंद हो गया। माह जुलाई में जैसे ही लॉकडाउन में नरमी बरती गई। वैसे ही जतमई-घटारानी पर्यटन स्थल में पर्यटकों का आना शुरू हो गया था। प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए जतमई मंदिर सेवा समिति ने 19 जुलाई को एक आपात बैठक बुलाकर कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए एक माह तक मंदिर क्षेत्र को पूर्णत: लॉक डाउन लगा दिया गया। व्यापारियों ने भी यहां आने वाले लोगों को कोरोना का संक्रमण ना फैले अपनी व्यवसाय बंद रखा है। आज पर्यटन स्थल को बंद हुए एक माह से उपर हो गया है पर यह इलाका अब तक पर्यटकों के लिए खुल नहीं पाया है और जिस तरह कोरोना संक्रमण प्रदेश में लगातार भयावह होता जा रहा है उससे अभी निकट में यह पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए खुल पाये इसकी उम्मीद कम ही है।
वहीं दूसरी ओर पिछले पांच माह से लॉकडाउन के कारण पर्यटन स्थल के मंझोले कारोबारियों की कमर ही तोड़ दी है। छत्तीसगढ़ क्राइम्स ने जतमई पर्यटन स्थल के जनरल दुकान संचालक डेरहाराम धु्रव, होटल व्यवसाई चित्रलेखा एवं खिलौना व्यवसाई मनोज साहू से जब चर्चा किया तो उनका कहना था कि कोरोना का संक्रमण ना फैले इसके लिए जो सरकार व जिला प्रशासन कदम उठा रही है वह उचित है पर लगातार और लंबे समय से हमारा व्यापार बंद रहने से हमारे सामने रोजी-रोटी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। हम मंझोले कारोबारी हैं हमारा मुख्य आय का स्रोत यह दुकान ही है और पिछले पांच माह से हमारा कारोबार ठप हो गया है। व्यवसायियों का कहना था कि सरकार जिस तरह से संकट के दौर में लोगों के मदद के लिए आगे आ रही है उन्हें मदद कर रही है हमें भी मदद मिलना चाहिए।
यहां पर हम आपको बता दें कि यहां पर इस सीजन में पर्यटकों की संख्या काफी रहती है और ऐसे में यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना काफी मुश्किल है। इसका जीता-जागता उदाहरण यह है कि बरसात शुरू होते ही रविवार 19 जुलाई को यहां पर रायपुर, दुर्ग, भिलाई और प्रदेश के विभिन्न स्थानों से सैकड़ों लोग पर्यटन स्थल पहुंचे थे। यहां आने वालों में रायपुर शांत नगर का एक परिवार भी था, जिसके 18 सदस्यों को कोरोना की पुष्टि के बाद ही पर्यटन स्थल को बंद कर दिया गया।