नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में हो रहे प्रदर्शन के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के किसानों के सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने एक तरफ किसानों के लिए उनकी सरकार की तरफ से किए गए कामकाज को गिनाते हुए अपनी नीयत को गंगाजल और नर्मदा के जल जितना पवित्र बताया तो विपक्ष पर जमकर पलटवार किया। पीएम ने कहा कि राजनीति करने वालों को दिक्कत इस बात से है कि इनके किए गए वादों को मोदी ने कैसे पूरा कर दिया। वह मोदी को मिलने वाले क्रेडिट से परेशान हैं।
पीएम मोदी ने कहा, ”किसानों की उन मांगों को पूरा किया गया है जिन पर वर्षों से सिर्फ मंथन चल रहा था। किसानों के लिए जो कानून बने हैं, ये रातोंरात नहीं आए हैं। पिछले 20-22 साल से देश की हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है। सभी संगठनों ने विमर्श किया है। देश के किसान, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आ रहे हैं। किसानों को उनसे सवाल पूछना चाहिए कि जो पहले अपने घोषणा पत्र में ये वादे करते थे, वोट बटोरते रहे, लेकिन उन वादों को पूरा नहीं किया। क्योंकि उनकी प्राथमिकता में किसान नहीं था। आज यदि सभी राजनीतिक दलों के घोषणापत्र देखे जाएं, बयान देखे हैं तो आज जो भी सुधार हुए हैं उनसे अलग नहीं है। वे जिन बातों का वादा करते थे उन्हें ही पूरा किया गया है। उन्हें तकलीफ इस बात से नहीं है कि कृषि सुधार क्यों हो गया, उन्हें तकलीफ है कि मोदी ने यह काम कैसे कर दिया, मोदी को कैसे क्रेडिट मिल गया। मैं हाथ जोड़कर कहता हूं क्रेडिट आप ले लो, लेकिन किसानों को बरगलाना छोड़ दीजिए। मैं सारा क्रेडिट आपके पुराने घोषणा पत्रों को देता हूं, मुझे क्रेडिट नहीं चाहिए। मैं केवल किसानों की जिंदगी आसान बनाना चाहता हूं। उन्हें समृद्ध बनाना चाहता हूं।”
पीएम मोदी ने कहा, ”यह कानून लागू हुए छह सात महीने से ज्यादा हो गया है। अब अचानक भ्रम का जाल फैला दिया गया है। आपने देखा होगा सरकार बार बार पूछ रही है आपको कानून में किस धारा में क्या दिक्कत है। तो इन राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं होता। यही इन दलों की सच्चाई है। किसानों को जमीन चली जाएगी का डर दिखाकर अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। जब इन लोगों को सरकार चलाने का मौका मिला तो इन लोगों ने क्या किया, यह याद रखना चाहिए।”
पीएम मोदी ने एमएसपी पर भरोसा देते हुए कहा, ”हमें एमएसपी हटानी ही होती तो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू क्यों करते? हमारी सरकार हर बार बुआई से पहले एमएसपी की घोषणा करती है। इससे किसानों को पहले ही पता चल जाता है कि इस फसल पर इतनी एमएसपी मिलेगी। छह महीने पहले यह कानून लागू हो चुका। कानून बनने के बाद भी वैसे ही एमएसपी की घोषणा की गई, जैसे पहले की जाती थी। उन्हीं मंडियों में पहले की तरह खरीदादारी हुई। कानून बनने के बाद भी यदि उसी तरह उन्हीं मंडियों में खरीददारी हुई तो कोई समझदार यकीन कर सकता है कि एमएसपी बंद हो जाएगी? मैं देश के हर किसान को भरोसा दिलाता हूं कि एमएसपी बंद नहीं होगी।”
पीएम मोदी ने यूपीए-2 के दौरान मिलने वाली एमएसपी और उनकी सरकार में दी जा रही एमएसपी और खरीद की आंकड़ों के साथ तुलना की। पीएम मोदी ने कहा, ”पिछली सरकार के समय गेहूं पर एमएसपी 1400 रुपए प्रति क्विंटल थी, हमारी सरकार 1900 रुपए दे रही है। पिछली सरकार धान पर 1310 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी दे रही थी हमारी सरकार 1870 रुपए दे रही है। पिछली सरकार के समय मसूर पर 1950 रुपए एमएसपी थी अब प्रति क्विंटल 51 सौ रुपए है। चने पर 31 सौ रुपए एमएसपी थी अब 51 सौ रुपए है। तूर दाल पर 41 रुपए एमएसपी थी हमारी सरकार छह हजार रुपए दे रही है। ये इस बात का सबूत है कि हमारी सरकार एमएसपी बढ़ाने को कितनी गंभीरता देती है। एमएसपी बढ़ाने के साथ सरकार का जोर रहा है कि ज्यादा से ज्यादा खरीदारी एमएसपी पर की जाए। पिछली सरकारों ने 1700 मीट्रिक टन धान खरीदा था, हमारी सरकार ने 3 हजार मीट्रिक टन धान खरीदा। पिछले सरकार ने पौने चार लाख टन तिलहन खरीदा था हमारी सरकार ने 56 लाख टन खरीदा है।”
पीएम मोदी ने कहा, ”जो हुआ ही नहीं है, जो होने वाला ही नहीं है उसका डर दिखाया जा रहा है। किसान भाइयों से आग्रह है कि डर फैलाने वाली जमात से सवाधान रहिए। इन लोगों ने हमेशा किसानों को धोखा दिया है। उनका इस्तेमाल किया है। और आज भी यही कर रहे हैं। सरकार के इन प्रयासों के बाद भी यदि कुछ किसानों को आशंका है तो सिर झुकाकर, किसानों के सामने हाथ जोड़कर देश के हित में उनकी चिंता की निराकरण के लिए हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं।”