पूरन मेश्राम/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स
मैनपुर। सुदूर वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के आलावा ग्रामीणों के लिए मुर्गीपालन का व्यवसाय अतिरिक्त आमदनी का जरिया बन सकता है बशर्ते सुदूर वनांचल इलाके में मुर्गी पालन कर कैसे अपनी आमदानी बढ़ाया जा सकता है इसके संबंधित विभाग सार्थक प्रयास करें तो निश्चित ही वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों की आर्थिक सशक्तिकरण किया जा सकता है।
किसानों के लिए खेती के साथ मुर्गीपालन एक बेहतर विकल्प हो सकता है।इसके जरिए घर की महिलाओं को भी रोज़गार मुहैय्या कराया जा सकता है।
मुर्गियों के रख-रखाव तथा खुराक पर अधिक खर्च नहीं होता भोजन, व अन्य चीज़ों में काफी कम खर्च आता है। मुर्गियों से होने वाले लाभ के बारे में बात करें तो विशेषकर इसके मांस और अंडे से लाभ कमाया जाता है।
ज्ञात हो कि विकासखंड मुख्यालय मैनपुर के राजापडा़व क्षेत्र मे 65 पारा टोला गांव के लिए पशुपालन विभाग द्वारा शोभा में कर्मचारी को रहने के लिए शासकीय आवास तो बना दिया गया है। लेकिन वहां पर हर समय ताला ही लटका रहता है। योजनाओं से क्षेत्रवासी वंचित हो रहे हैं इस दिशा में भी पशुपालन विभाग के जिम्मेदारों को सोचना होगा, तभी क्षेत्रवासियों को विभागीय योजनाओं का लाभ मिल सकेगा, वरना भवन बना दिए जाने भर से योजनाएं नहीं पहुंच पाएंगी।