रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर बीते कई दिनों से चल रहा विवाद अब शांत होता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस के जिन पांच पार्षदों ने नाराज होकर इस्तीफा दिया था, उन्होंने गुरुवार को अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।
पीसीसी के प्रभारी महामंत्री मलकित सिंह गैदू ने इसकी पुष्टि की है। इसके साथ ही यह लगभग तय हो गया है कि आकाश तिवारी ही निगम में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे, जबकि पूर्व नेता प्रतिपक्ष संदीप साहू को पद से हटाना पड़ेगा।
एक महीने पहले बदला गया था नेता प्रतिपक्ष
कांग्रेस ने एक माह पहले संदीप साहू को हटाकर आकाश तिवारी को रायपुर नगर निगम का नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया था। उनकी नियुक्ति के विरोध में कांग्रेस के पार्षद संदीप साहू, रेणु जयंत साहू, दीप मणिराम साहू, रोनिता प्रकाश जगत और जयश्री नायक ने पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दे दिया था।
आकाश वही पार्षद हैं, जिन्होंने पार्टी से टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत के बाद सचिन पायलट के दौरे के दौरान फिर से कांग्रेस में शामिल हुए थे।
अब सभी ने लिया इस्तीफा वापस
पांचों पार्षदों ने अब इस्तीफा वापस ले लिया है और इसकी औपचारिक चिट्ठी गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंप दी गई है। हालांकि, इस घटनाक्रम पर अभी तक पार्षदों की ओर से कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है। लेकिन संगठन की ओर से ये कन्फर्म कर दिया गया है।
संदीप साहू पर पार्टी की चुप्पी बरकरार
पार्टी ने यह साफ संकेत दे दिया है कि आकाश तिवारी ही नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे, लेकिन संदीप साहू के भविष्य को लेकर अब भी कांग्रेस नेतृत्व की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
समिति ने सौंपी रिपोर्ट, संगठन का रुख साफ
इस पूरे विवाद की जांच के लिए कांग्रेस ने पूर्व विधायक लेखराम साहू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट पार्टी के महामंत्री मलकीत सिंह गैदू को सौंप दी है।
रिपोर्ट में क्या सिफारिशें की गई हैं, यह तो सामने नहीं आया है, लेकिन संगठन का रुख अब स्पष्ट हो चुका है आकाश तिवारी की नियुक्ति को बरकरार रखा जाएगा और संगठनात्मक एकता को प्राथमिकता दी जाएगी।
70 में 8 पार्षद, एक निर्दलीय
बता दें कि रायपुर नगर निगम में कुल 70 पार्षद हैं, जिनमें कांग्रेस के 8 पार्षद हैं। 7 पार्टी के टिकट पर जीते, जबकि एक आकाश तिवारी निर्दलीय लड़कर जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए। इसी बात को लेकर असंतोष शुरू हुआ था, जो अब संगठन के हस्तक्षेप से थमता नजर आ रहा है।